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पत्र: सरलादेवी चौधरानीको

स्त्रियोंने पवित्रताका पालन करते हुए धर्मको अक्षुण्ण रखा है। स्त्रियोंने ही अपने सर्वस्वका बलिदान करके राष्ट्रकी रक्षा की है। ये स्त्रियाँ जब हिन्दुस्तानके दुःखको समझेंगी तब यह दुःख कितने दिन टिक सकेगा?

जिन स्त्रियोंमें मैं जागृति देख रहा हूँ वे पढ़ी-लिखी नहीं हैं; तथापि वे ज्ञानी हैं। वे धर्म-कर्मको अच्छी तरह समझती हैं। शिक्षित-वर्ग जो बात समझने में बहुत समय लगा रहा है, उसे ये स्त्रियाँ अपनी प्रेरणाशक्तिके द्वारा संकेतमें ही समझ गई हैं। स्वराज्य अर्थात् रामराज्य, यह बात समझने में उन्हें देर नहीं लगी।

बहनोंके सम्मुख समस्त बातें स्पष्ट रूपसे रख दी गई हैं। दुःख किस बातमें है, यह बात उन्हें समझाई गई है। दुःखका उपाय असहयोग है, यह भी उन्हें बताया गया है। अपने-अपने धर्मोको जानकर उसका दृढ़तापूर्वक पालन करते हुए स्त्रियोंने हिन्दू-मुसलमानोंमें परस्पर एकता बनाये रखने में मदद करने की बातको अपना कर्त्तव्य माना है।

स्त्रियोंने इस वस्तुको जिस उत्साहसे और अच्छी तरह सोच-समझकर आरम्भ किया है अगर वे उसी उत्साहसे उसे जारी रखेंगी तो मुझे विश्वास है कि उनके द्वारा दिये गये फाजिल गहनोंसे ही सारे हिन्दुस्तानकी शिक्षाकी व्यवस्था हो सकती है। जिन बहनोंने गहने भेंट किए हैं सो इस शर्तके साथ कि स्वराज्य मिलने में जितना समय लगेगा उस समयतक वे वैसे गहनोंकी फिरसे माँग न करेंगी और उनके बिना ही अपना काम चलायेंगी। इस तरह स्त्रित्रोंके शृंगारके थोड़ेसे त्यागसे हिन्दुस्तानके शिक्षण और स्वदेशीके प्रचारका बन्दोबस्त हो सकता है। फलतः मुझे उम्मीद है कि डाकोरजी से जिस महायज्ञका सुत्रपात हुआ है उसे बहनें कायम रखेंगी और उनके पति अथवा सगे-सम्बन्धी उनके इस पवित्र कार्य में बाधक नहीं होंगे।

[गुजरातीसे]

नवजीवन, २८-११-१९२०

२९. पत्र: सरलादेवी चौधरानीको

२८ नवम्बर, १९२०

दीपक[१] चाहता है कि उसे कुछ समयके लिए अंग्रेजीकी पढ़ाईसे मुक्ति दे दी जाये। इस बातसे मेरी नजरोंमें तो यह लड़का बहुत चढ़ गया है। इस सम्बन्ध में अगर तुम्हारे मनमें भी कोई एतराज न हो तो मैं तो चाहूँगा कि दीपकको उसकी मरजीके मुताबिक करने दिया जाये। ध्यान रखूँगा कि वह कभी आगे चलकर अंग्रेजी भी पढ़ ले। लेकिन मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि थोड़े समयके लिए अंग्रेजी छोड़ देने से उसका कोई नुकसान नहीं होगा। तुम जानती होगी कि किसी विद्यार्थीको जब भाषाकी पकड़ आ जाती है, वह भाषा-शास्त्र में पारंगत हो जाता है; और तब

  1. सरलादेवीका पुत्र।