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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कोई भी नई भाषा सीख लेना उसके लिए बहुत आसान हो जाता है। मैक्समुलरने इसी तरह सोलह भाषाएँ सीखी थीं। एक बार भाषाशास्त्रपर काबू पा लेनेके बाद अन्य कोई भी नई भाषा सीखनेके लिए कुछ मूल शब्द याद कर लेता ही काफी होता है। इसलिए तुम खुशी-खुशी अपनी स्वीकृति दे दो। दीपक बड़ा होनहार और प्यारा बच्चा है। जबतक वह किसी-न-किसी काममें व्यस्त रहता है और अपनी चिन्तन-शक्तिका विकास करता जाता है तबतक मैं पढ़ाई या और किसी बातका कोई बोझ उसपर नहीं डालूँगा। इसपर खूब सोच-विचारकर अपना पक्का निर्णय सूचित करो। याद रखो कि अपने बच्चोंके शिक्षकपर भरोसा करना सदा ही निरापद होता है। शिक्षकों के चुनाव में जितनी सावधानी बरतनी हो, बरती जाये; परन्तु एक बार शिक्षकका चुनाव कर लेनेपर बच्चेकी शिक्षाका सवाल पूरी तरह उसीपर छोड़ देना चाहिए।

बनारसमें[१] समय बहुत अच्छा गुजरा। परिणाम क्या होगा, यह नहीं कह सकता। वातावरण जरूर साफ हुआ है और मालवीयजी यदि पूरी तरह नहीं तो पहलेसे अधिक शान्त अवश्य हैं।

[अंग्रेजीसे]

महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे।

सौजन्य: नारायण देसाई

३०. देवदास गांधीको लिखे पत्रका अंश

२८ नवम्बर, १९२०

...काशी में दो दिन[२] बिताये। काफी अनुभव हुआ। पण्डितजीके[३] साथ कटुता आनेका जरा भी भय नहीं था। दूसरोंको जो अन्देशा था, वह भी मिट गया होगा। विद्यार्थियोंसे खूब बातें हुईं। अब यह देखना है कि परिणाम क्या होता है। देश में बेहद कमजोरी है। असहयोग ही देशको सबल बनायेगा।

[ गुजराती से]

महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ५

 
  1. गांधीजी २५ से २७ नवम्बरतक बनारसमें थे।
  2. २६ व २७ नवम्बर।
  3. पं० मदनमोहन मालवीय।