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३१. पत्र: दीपक चौधरीको

२८ नवम्बर, १९२०

अब तो तुम्हें गुजराती में ही लिखूंगा। तुम्हारा पत्र मिला। तुम्हें अब अंग्रेजी छोड़नी चाहिए या नहीं, इस बारे में माताजीकी राय पुछवाई है। तुम अध्ययनशील बनो तो अभी अंग्रेजी छोड़ देने में कोई अड़चन न होगी। तुम अपने शरीर, अपने मन और अपनी आत्माको सँभालो। शरीरके लिए कसरत, खेल-कूद, अच्छा भोजन और प्रसन्नचित्त; मनके लिए वाचन और मनन; आत्मा के लिए अन्तः शुद्धि और इसके लिए जल्दी उठना, व्यानपूर्वक प्रार्थनामें तल्लीन होना और गीताध्ययन। हमेशा इतना मनन करना: मैं सच ही बोलूंगा, सोचूंगा और करूँगा, में सबपर प्रेम रखूंगा, मैं अपनी सब इन्द्रियोंपर काबू करूँगा, दूसरेकी चीजपर बुरी नजर नहीं डालूं। मैं कुछ भी अपना नहीं मानूंगा, परन्तु सब कुछ ईश्वरार्पण करूँगा। ऐसे चिन्तनसे हृदय-शुद्धि होगी।

[गुजराती से]

महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ५

३२. पत्र: हरकिशनलालको

२८ नवम्बर, १९२०


प्रिय हरकिशनलाल,[१]

मैं यात्रापर निकल गया था, इसलिए तुम्हारा पत्र मेरे पीछे-पीछे भटकता हुआ अब आकर मिला है। तुम्हारी भविष्यवाणी[२] सच्ची निकले तो उसमें कुछ दोष तुम्हारा भी होगा। ऐसा तो नहीं हो सकता कि तुम चुपचाप बैठे रहकर हिंसाकी जड़ोंको फैलने दो और फिर कहो, ‘देखो, मैं कहता था सो सच निकला।’ परन्तु तुम्हारी भविष्यवाणी सही निकले या गलत, असहयोग तो तबतक चलता ही रहेगा जबतक वह अपनी ही हिंसाके भारसे दबकर न रुक जाये। इसलिए तुमसे अपेक्षा यही की जाती है कि तुम अपनी भविष्यवाणी गलत साबित करनेके लिए जी-तोड़ कोशिश करोगे।

  1. लाला हरकिशनलाल, पंजाबके एक प्रमुख व्यवसाथी और राष्ट्रवादी नेता, जिन्होंने गांधीजीके असहयोग आन्दोलनका विरोध किया था और जो बादमें मॉण्टेग्यु-चैम्सफोर्ड सुधारोंके लागू होनेपर पंजाब मन्त्रिमण्डलमें मन्त्री बने थे।
  2. हरकिशनलालने यह भविष्यवाणी की थी कि गांधीजीका असहयोग आन्दोलन असफल होगा।