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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तो आपको इस कार्यक्रमसे अपना मतभेद प्रकट करना चाहिए। अन्यथा यदि आप यहाँसे चुपचाप चले जाते हैं तो इससे यही प्रकट होगा कि आप इस कार्यक्रमसे सहमत हैं और तब फिर इसीलिए आपका अपने बच्चोंको स्कूलों और कालेजोंसे हटा लेना उचित होगा। यदि आपके लड़के वयस्क हैं तो आप उन्हें स्कूलों और कालेजोंको छोड़नेके लिए समझायें और यदि वे वैसा न करें तो आप उनकी सहायतासे हाथ खींच लें और जहाँ उनकी तकदीर ले जाये वहां जाने दें।[१]

गांधीजीने स्वदेशीकी आवश्यकतापर बल देनेके बाद इलाहाबादमें एक राष्ट्रीय कालेजकी स्थापना के निमित्त घनकी अपील की।

[अंग्रेजी से]

बॉम्बे क्रॉनिकल, १-१२-१९२०

३४. भाषण: महिलाओंकी सभा, इलाहाबादमें

२९ नवम्बर, १९२०

महात्माजीने महिलाओंसे अनुरोध किया कि वे देशको आजादीकी लड़ाई में अपना फर्ज अदा करने में गफलत न करें। उन्होंने उनसे जोर देकर कहा: आप अपने पतियों और पुत्रोंसे अनुरोध करें और उन्हें प्रोत्साहन दें कि वे अपने कर्त्तव्यके पथपर चलें। आप स्वयं स्वदेशी को अपनाकर स्वतन्त्र भारतके निर्माणमें प्रबल और प्रभावकारी सहायता दें। रावणके राज्यमें सीताको भी चौदह सालतक वल्कल वसन (पेड़की छालके बने मोटे कपड़े) पहनकर रहना पड़ा था। इसी तरह आज भी, जब स्वदेशी वस्तुओं को अपनानेका अर्थ भारतको स्वतन्त्र करनेकी दिशा में एक बड़ा कदम उठाना है, तब भारतीय महिलाओंको हाथकते और हाथबुने खद्दरका कपड़ा पहनना अपना पुनीत कर्त्तव्य बना लेना चाहिए। इतना ही नहीं बल्कि उन्हें प्रतिदिन कमसे-कम एक घण्टा सुत भी कातना चाहिए और इस प्रकार हाथसे कपड़ा बुननेमें सहायक बनना चाहिए। भारतीय स्त्रियोंका देशके प्रति यह कर्त्तव्य हो गया है कि वे महीन कपड़े पहनना छोड़कर खादीकी पोशाक अपनायें।

  1. यहाँ १-१२-१९२० के लीडरमें इतना और दिया गया है: “श्री गांधीने इसके बाद स्वदेशी वस्तुओंके प्रयोगका आग्रह करते हुए कहा कि स्वदेशीका व्यवहार नौकरशाहीके विरुद्ध अत्यन्त शक्तिशाली शस्त्र है। यदि आप उन ६० करोड़ रुपयोंको जिनसे ब्रिटेनका बना माल खरीदा जा रहा है, बचा लेंगे तो लंकाशायरके ५७ संसदीय सदस्य आपकी मुट्ठोमें आ जायेंगे। यदि आप केवल स्वदेशी मालका ही व्यवहार करनेका निश्चय कर लें तो आपको स्वराज्य मिल जाये। किन्तु यह केवल तभी सम्भव हो सकता है जब आप अपनी आदतें सीधी-सादी बना लें। आप अब मलमल पहनना छोड़ दें और केवल खद्दर ही पहनें।”