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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

है कि पहले अन्य लोग आगे बढ़े तब हम बढ़ेंगे तो इससे उसकी कमजोरी ही जाहिर होती है।

हिन्दुओंको सम्बोधन करते हुए महात्माजीने कहा: यह सन्देह करनेका कोई कारण नहीं है कि अलीबन्धु हमें धोखा दे जायेंगे। क्योंकि उन्होंने यह तो साफ-साफ कह ही रखा है कि वे पहले मुसलमान हैं और बादको कुछ और। उन्होंने वचन दिया है कि भारतकी स्वतन्त्रताके लिए वे [जरूरत होगी तो] सारी दुनियासे लड़ेंगे। [उनपर] इस प्रकारके सन्देहसे हममें आत्मविश्वासकी कमी प्रकट होती है। यह भी कहा गया है कि अलीबन्धु अखिल इस्लामवादके हिमायती हैं। यदि संसारके दूसरे भागोंके मुसलमानोंसे सहानुभूति दिखाना अखिल इस्लामवाद है तो हिन्दू भी अखिल हिन्दुत्ववादी हैं। क्योंकि सहधमियोंसे सहानुभूतिकी भावना स्वाभाविक भावना है और वह सभी जातियोंमें होती है। इसलिए मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप पराक्रमी बने और कायरोंके दिलोंमें उत्पन्न होने-जैसी शंकाओंको निकाल बाहर करें। अब समय आ पहुँचा है जब सबको संगठित होकर पूरे मनसे देशके प्रश्नको हाथमें लेना चाहिए, किन्तु यदि सामान्य जन मेरी बात नहीं सुनेंगे तो मैं उन ४ या ५ व्यक्तियोंको ही साथ लेकर जिन्होंने इस मामलेको हाथमें उठा लिया है इस संघर्षको अन्ततक चलाता रहूँगा। (जोरको तालियाँ।)

[अंग्रेजी से]

बॉम्बे क्रॉनिकल, १-१२-१९२०

३६. भाषण: विद्यार्थियोंकी सभा, इलाहाबाद में[१]

३० नवम्बर, १९२०

मुझे यह समाचार[२] सुनकर अत्यन्त दुःख हुआ। यहाँ भी भाई जवाहरलालके साथ बहुत विद्यार्थियों से मुलाकात हुई थी। उन्होंने उनसे साफ-साफ कह दिया था कि वे पाठशाला तभी छोड़ें जब उन्हें यह अपना धर्म जान पड़े; इस आशासे न छोड़ें कि हम लोग कोई व्यवस्था करेंगे। वे हमारी शक्तिके अनुसार व्यवस्था स्वीकार करनेको रजामन्द हो गये और भाई जवाहरलालने उनके लिए एक मकान ले भी लिया, परन्तु वह एक हफ्ते से खाली पड़ा है। इन समाचारोंसे मुझे जितना दुःख हुआ है, यह में प्रकट नहीं कर सकता। मुझे ये घटनाएँ हमारी गुलामीके स्पष्ट चिह्न प्रतीत होती हैं। प्रतिज्ञा लेकर तोड़नेवाला हैवान बन जाता है, नामर्द बन जाता है। लॉर्ड

  1. सभा आनन्द भवनमें हुई थी और उसमें मौलाना अबुल कलाम आजाद तथा शौअत अली भी बोले थे। यह भाषण महादेव देसाईके यात्रा-विवरणसे उद्धृत किया गया है।
  2. गांधीजीके झांसी पहुँचनेपर बहुतसे विद्यार्थियोंने गीता और कुरानकी शपथके साथ अपने-अपने विद्यालय छोड़े थे। फिर समाचार मिला कि दो-तीन दिन बाद ही विद्यार्थी वापस विद्यालयों में चले गये हैं।