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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बनानेकी कोशिश करो; अध्ययनशीलता अपनाओ। भोजन नियत समयपर ही किया करो। आजकल जितना दूध पीते हो उससे अधिक पिया करो। उर्दू जल्दीसे सीख लो। प्रातःकालकी प्रार्थनामें उपस्थित रहने से किसी भी दिन मत चूकना।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (एस० एन० ७१७७) की फोटो-नकलसे।

 

३९. पत्र: देवदास गांधीको

सोमवार [नवम्बर १९२०][१]

चि० देवदास,

तुम्हारा पत्र अभी-अभी पढ़ा। तुम वहाँ रह गये, मुझे यह भी ठीक लगा। पूरे सोच विचारके साथ किया गया प्रत्येक काम लाभदायक होता है। ‘फ्रेंच रेवोल्यूशन’ अच्छी पुस्तक है, उसे जरूर पढ़ जाओ। अगर वसुमतीबेन वहाँ पहुँच जायें तो तुमसे उन्हें बड़ा सहारा रहेगा। इसी कारण उन्होंने इच्छा की थी कि तुम वहीं रह जाओ। मैं यह तो अवश्य चाहता हूँ कि तुम उर्दू सीख लो, कातना और धुनना भी भली प्रकार सीखो। ज्यों-ज्यों दिन बीतते जायेंगे त्यों-त्यों ये सब काम और भी कठिन प्रतीत होंगे। अपनी लिखावटके बारेमें भी ऐसा ही समझो। तुम्हारे...के[२] पहुँचनेकी आशा करता हूँ।

मुझे असन्तोष तो रहेगा ही।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (एस० एन० ७६६४) की फोटो-नकलसे।

 

४०. टिप्पणियाँ

जफर अली खाँके साथ व्यवहार

मैंने पाठकोंसे मौलाना जफर अली खाँके पुत्रसे यह पूछताछ करनेका वचन दिया या कि उन्होंने लाहौर जेलकी हवालातमें अपने पिताके साथ किये जानवाले व्यवहारके सम्बन्ध में जो बात कही थी वह ठीक है या नहीं। अब मुझे उनकी चिट्ठी मिल गई है। उन्होंने स्थानीय सरकारकी विज्ञप्तिको निःसंकोच होकर ‘झूठ’ कहा है। उन्होंने कहा है: मैंने जो सूचना आपको दी थी वह बिलकुल ठीक थी। मौलाना जफर अली खाँ अँधेरी कोठरीमें बन्द रखे गये थे और उन्हें बाहरसे खाना मँगवानेकी

  1. उर्दू सीख लेनेके उल्लेखसे ऐसा लगता है कि यह पत्र भी पिछले पत्रके आसपास लिखा गया था।
  2. यहाँ कुछ शब्द छूट गये जान पड़ते हैं।