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टिप्पणियाँ

इजाजत नहीं दी गई थी। उनके पुत्रने आगे यह भी लिखा कि लाहौरकी सभामें की गई सार्वजनिक घोषणाके बाद मेरे पिताको अच्छी जगह रख दिया गया और बाहरसे खाना मँगवा लेनेकी इजाजत दे दी गई। इससे सरकारका मामला सुधरता नहीं और बिगड़ता ही है। इस तथ्यकी सार्वजनिक घोषणाके बाद उसने ही अपनी गलती सुधारी। इससे यह सूचित होता है कि वह अपनेको अपराधी अनुभव करती है। सरकार जानती थी कि वह गलती कर रही है; किन्तु वह सदा यह आशा करती थी कि किसी हवालाती कैदीके साथ किये गये स्पष्ट दुर्व्यवहारकी ओर किसीका ध्यान नहीं जायेगा। इसका एक दूसरा उदारतापूर्ण अर्थ भी सम्भव है। यह हो सकता है कि अधिकारियोंको इस गैरकानूनी कार्रवाईका कुछ पता न हो, और यह किसी छोटे अधिकारीकी कार्रवाई हो और ऊँचे अधिकारियोंको इसका ज्ञान भी न हो और अपराधी अधिकारीने स्वयं उनको धोखेमें रखा हो। किन्तु यदि बात ऐसी हो तो यह वर्तमान प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टताका एक और प्रमाण है। मुझे आशा है कि सरकार इस बारेमें अभी और जाँच करायेगी। जहाँ सरकार दोषकी पात्र नहीं, वहाँ उसपर दोष मढ़नेकी मेरी कोई इच्छा नहीं है। किन्तु जबतक मामला स्पष्ट नहीं हो जाता तब-तक लोगोंको उसी बातपर विश्वास करते जानेका हक होगा, जिसकी पुष्टि मोलाना जफर अलीके लड़केने की है।

ड्यूकका दौरा

महाविभव ड्यूक ऑफ कनॉट[१] महोदय जल्दी ही हमारे देशमें आनेवाले हैं। मेरे लिए यह बड़े खेदकी बात है कि मुझे उनके सम्मानमें किये जानेवाले समस्त सार्वजनिक समारोहोंके पूर्ण बहिष्कारकी सलाह देनी पड़ रही है। वे एक व्यक्तिकी हैसियतसे बहुत ही मृदु स्वभावके अंग्रेज सज्जन हैं। किन्तु मेरी विनम्र सम्मतिमें, सार्वजनिक हितका तकाजा है कि उनके इस राजकीय दौरेकी बिलकुल उपेक्षा की जाये। श्री ड्यूक महोदय एक भ्रष्ट शासन प्रणालीको बल देनके लिए आ रहे हैं, वे एक गैर-जिम्मेदार नौकरशाहीकी मलिनतापर आवरण डालनेके लिए आ रहे हैं। हम जिसे भूल नहीं सकते वे हमें वही भुला देनेके लिए आ रहे हैं। वे हमारे घावोंको भरनके लिए नहीं, बल्कि हमें धोखेमें डालनेवाले सुधार[२] हमारे सिर मढ़कर हमारा मजाक उड़ानेके लिए आ रहे हैं। ड्यूक महोदयका स्वागत करना, अपने ही असम्मानकी वृद्धि योग देना है। जबतक सरकार पश्चात्ताप नहीं करती और उस चीजको जो आवश्यक है, दे नहीं देती, तबतक उस सरकारकी शक्तिका प्रतिनिधि कोई भी सरकारी अधिकारी, फिर चाहे वह यूरोपीय हो या भारतीय, हमसे किसी भी तरहके स्वागत या सम्मान प्राप्त करनेका अधिकारी नहीं है।

  1. जॉर्ज पंचमके चाचा। वे १० जनवरी, १९२१ को भारत पहुँचे थे।
  2. मॉण्टेग्यु-चैम्सफोर्ड सुधार, जो १९१९ के गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ऐक्टमें दिये गये थे। ड्यूक उन्हींका समारम्भ करनेके लिए आये थे।