पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 19.pdf/८७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

४३. भाषण: इलाहाबादमें तिलक विद्यालयके उद्घाटनपर

१ दिसम्बर, १९२०

श्री गांधीने विद्यालयका[१] उद्घाटन करते हुए कहा: मुझे इस विद्यालयके उद्घाटनकी रस्म पूरी करते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है। मुझे श्री श्यामलाल नेहरूने बताया है कि विद्यालयका नाम राष्ट्रीय विद्यालय नहीं, तिलक विद्यालय होगा। स्वराज्यके लिए जितना आत्मत्याग श्री तिलकने[२] किया है उतना किसी दूसरे व्यक्तिने नहीं किया। इसलिए उस महान देशभक्तके नामपर इसका नाम रखा जाना उचित ही है। यदि कालेजके विद्यार्थी आयेंगे तो कालेज भी खोला जायेगा। विद्यालयमें वे सभी विषय पढ़ाये जायेंगे जो दूसरे स्कूलों में पढ़ाये जाते हैं। इसके बाद उन्होंने विद्यालयकी कार्यकारिणीके सदस्योंके नाम घोषित किये। इनमें पं० मोतीलाल नेहरू, अध्यक्ष, और सर्वश्री जवाहरलाल नेहरू, मोहनलाल नेहरू, श्यामलाल नेहरू और गौरीशंकर मिश्र सदस्य थे। उन्होंने आगे कहा: विद्यालयमें १५ अध्यापक हैं जिनमें से कुछके पास डिगरियाँ हैं। मेरा खयाल है कि ये सभी ऊँचे चरित्रके लोग हैं। यदि अध्यापक अच्छे हों तो विद्यालय उन्नति करेगा। जिन लोगोंने विद्यालयकी सेवा करनेका वचन दिया है, उन्हें दूसरी सब बातें भुला देनी चाहिए। कुछ स्कूलों में अध्यापक अपने कामके अलावा दूसरे बाहरी काम भी करते हैं। इस विद्यालय में ऐसा नहीं होना चाहिए। राष्ट्रीय विद्यालयके अध्यापकोंका अपना पूरा ध्यान विद्यालयके कामपर केन्द्रित रहना चाहिए विद्यालय में छात्रों को कुर्सियाँ और डेस्कें नहीं मिलेंगी। सरकारने हममें उनके उपयोगकी बुरी आदत डाल दी है। किन्तु आप लोग केवल आसनोंका प्रयोग करनेके लिए तैयार रहें। आप अपनी विद्या और चरित्रशीलतासे यह दिखायें कि आप दूसरे स्कूलोंके छात्रोंसे अच्छे हैं। इस संस्था में आपको कोई सुख-सुविधा नहीं मिलेगी। यदि जरूरत होगी तो छात्रोंको खुलेमें पेड़ोंके नीचे बैठकर पढ़ना-लिखना होगा और मेरी रायमें भारतकी प्राचीन पद्धतिमें तो इस बातपर आग्रह किया जाता था। प्राचीन कालमें जब वर्षाकाल आता था, छात्र खेतों में काम किया करते थे। मुझे यह देखकर प्रसनता होती है कि विद्यालय के पाठ्यक्रम में टाइप, संकेतलिपि, कताई और बुनाईके विषय भी सम्मिलित होंगे। लड़कोंको उर्दू और देवनागरी दोनों लिपियाँ सीखनी होंगी। आपका ऐसा करना स्वराज्य और हिन्दू मुस्लिम ऐक्य, दोनों ही दृष्टिसे अच्छा है। दोनों लिपियोंको सीखनेसे हिन्दू और मुसलमान दोनों ही बहुत कुछ सीखेंगे। मेरे

  1. यह राष्ट्रीय हाई स्कूल स्वराज्य सभाके कार्यालय में चलाया जाता था। स्कूलकी कार्यकारिणीने इसे गांधीजी द्वारा बताई हुई पद्धतिसे चलानेका निश्चय किया था।
  2. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक; (१८५६-१९२०)।