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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पंजाबमें मार्शल लॉ लागू किया गया था तब वाइसरायने उसके नियन्त्रणके लिए कुछ विनियम बनाये थे; लेकिन बेतियामें ऐसा भी नहीं किया गया। हाँ, यह जरूर है कि बेतियामें मार्शल लॉ इतनी सख्तीसे लागू नहीं किया गया जितनी सख्तीसे वह पंजाबमें किया गया था। किन्तु, उक्त गाँवों में कम सख्त रूपमें ही सही मार्शल लॉ लागू अवश्य किया गया है। पुलिसने वहाँ सरकारकी आज्ञाके बिना भारी अन्याय किया है और खबर मिली है कि उसने वहाँ हमारी माताओं और बहनोंका शीलभंग किया है। मैं नहीं जानता कि अखबारोंमें जो-कुछ छपा है वह सच है या नहीं; किन्तु यदि मान लें कि वह सब सच है और जिन गवाहोंने वह सूचना दी है कि वे विश्वस्त हैं, तो उसके अनुसार वहाँ सम्पत्ति लूटी गई है, स्त्रियोंका अपमान किया गया है और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया है और यह सब सरकारकी आज्ञाके विरुद्ध।

जबतक हमारा आचरण इस तरहका रहेगा तबतक हम गुलाम रहेंगे और तब-तक न हम स्वराज्य ले सकेंगे और न खिलाफतकी रक्षा ही कर सकेंगे। निःसन्देह हम अदालतों में शिकायत लेकर नहीं जायेंगे; क्योंकि वह तो पाप ही होगा। यदि हम मामला वहाँ ले भी जायें तो उससे हम स्वतन्त्रताकी दिशामें तनिक भी नहीं बढ़ेंगे; हाँ, हम पुलिसके लोगोंको जेल जरूर भिजवा सकेंगे। हमारा उद्देश्य वर्तमान शासन प्रणालीको समाप्त कर देना है; किन्तु जबतक उसका अन्त नहीं होता तबतक उन लोगोंसे क्या कहा जाये जिन्होंने एक अत्याचारी सरकारसे अत्याचार करना सीख लिया है? हमारा मुख्य कर्त्तव्य अपने बीच पूर्ण एकता स्थापित करना है। यदि हम आज एकता प्राप्त कर लें तो हमें एक दिनमें ही स्वराज्य मिल जायेगा। महात्मा गांधीने आगे चलकर कहा: बिहारमें चुनावोंमें[१] बहुत ही कम लोगोंने मतदान किया है; इसके लिए वह बधाईका पात्र है। जो लोग स्वतन्त्रताकी तनिक भी परवाह करते हैं उन सभीने कौंसिलोंमें जानका विचार छोड़ दिया है। कुछ लोग कौंसिलोंमें गये भी हैं; किन्तु उन्हें अधिकांश मतदाताओंसे मतदान प्राप्त नहीं हुआ। फिर भी वे अपनेको लोकप्रतिनिधि कहते हैं। यहाँ गांधीजीने एक पत्रका उल्लेख किया। यह उन्हें फुलवारी शरीफमें, जहाँ वे श्रद्धास्पद मौलाना बदरुद्दीनसे मिलने गये थे, वहाँके हिन्दुओंने दिया था। इस पत्रमें कहा गया था कि यहाँके मुसलमान भाइयोंसे हमारा सम्बन्ध प्रेमपूर्ण नहीं कहा जा सकता। उन्होंने दुर्गा पूजाके हमारे उत्सवमें बाधा पहुँचाई। इस सम्बन्धमें गांधीजीने कहा: यद्यपि बिहार हिन्दू-मुस्लिम एकताके लिए प्रसिद्ध है; किन्तु जब यह शिकायत मेरे ध्यानमें लाई गई तो मेरे मनमें अवश्य ही यह खयाल आया कि यहाँ दालमें कुछ काला है। शाहाबादके दंगेकी याद मुझे अभी भूली नहीं है और यह भी याद है कि वहाँ पहल हिन्दुओंकी ओरसे की गई थी। मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ कि आप लोग ऐसे मतभेदोंको आपसमें ही तय कर लिया करें और यदि आपका उद्देश्य शासनको सुधारना और शुद्ध करना है तो आप पहले अपनी शुद्धि करें।

  1. विधान परिषदके चुनावों में।