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भाषण: विद्यार्थियोंकी सभा, पटनामें

शब्दको हटा दिया जाये तो वे इस आन्दोलनमें खुशीसे शामिल हो जायेंगे। मेरा आपसे अनुरोध है कि उसी हालतमें आप सरकारसे अपना सम्बन्ध तोड़ें जब आप उसे शैतानी सरकार मानते हों। यदि लॉर्ड चैम्सफोर्ड[१] मंजूर कर लें तो मैं बीमारीमें उनकी सेवा-शुश्रूषा खुशीसे करूँ। मैं उनको जहर नहीं दूँगा, बल्कि अपनी शक्ति-भर उन्हें स्वस्थ करनेका प्रयत्न करूँगा। किन्तु यदि वे मेरे आश्रमके लिए करोड़ों रुपये भी दें तो मैं उनकी सहायतासे इनकार कर दूँगा। मुझे बताया गया है कि कालेजोंके छात्रोंको नागपुर कांग्रेसके अवसरपर स्वेच्छासे अपनी सेवाएँ अर्पित करनेकी अनुमति दे दी गई है। किन्तु यह तो उन्हें शान्त करनेके लिए दी गई केवल एक रियायत-जैसी चीज है और वह किसी भी नाजुक मौकेपर वापस ले ली जा सकती है। जब समय आयेगा तब कितने ही कर्नल जॉन्सन[२] निकल जायेंगे और ६-७ सालके छोटे-छोटे लड़कोंको यूनियन जैकको केवल सलाम करानेके लिए जूनकी सख्त गर्मीमें १६ मील या उससे भी ज्यादा पैदल चलनेको मजबूर करेंगे।

अभिभावकोंको सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वे लड़कोंको स्वतन्त्र बनायें। उन्हें फीस तो राष्ट्रीय कालेजोंमें भी देनी होगी लेकिन वहाँ वे यूनियन जैकको सलामी देनेके अपमानसे बच जायेंगे। हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ कालेजके अधिकारियोंका खयाल है कि वे सच्ची शिक्षा दे रहे हैं; लेकिन वह सच्ची शिक्षा नहीं है। वहाँ अध्यापक यह नहीं सिखा सकते कि भारत सरकार शैतानी सरकार है और विद्यार्थियों को उसका अन्त करनेका प्रयत्न करना चाहिए। क्या वे सर एच० बटलरको[३] अपने कालेजोंका निरीक्षण करनेसे रोक सकते हैं? क्या छात्र यह साहस कर सकते हैं कि वे उनको सलाम न करें? यदि वे सलाम न करें तो यह स्वतन्त्रता नहीं, अशिष्टता मानी जायेगी। यदि ड्यूक ऑफ कनॉट ब्रिटिश सरकारके अंगके रूपमें मेरे आश्रममें आना और उसे देखना चाहें तो मैं उन्हें अपने आश्रम में पैर भी न रखने.दूँगा। किन्तु यदि वे गैर सरकारी हैसियतसे आश्रम देखने आयें तो मुझे कोई आपत्ति न होगी।

यदि आप स्वतन्त्र होना चाहते हैं तो आप पराधीनताका सूचक यह झंडा हटा दें। आप इन स्कूलों और कालेजोंको छोड़ दें तो मैं आपसे कोई वादा तो नहीं करना चाहता, फिर भी आपके लिए राष्ट्रीय संस्थाओंकी व्यवस्था करनेका प्रयत्न करूँगा। आपके लिए तो इतना ही आवश्यक है कि आप इस आगसे बचें। आप वर्तमान शिक्षासे दूर रहें।

असली शिक्षा तो अपना कर्त्तव्य पालन है। यदि हमारा देश स्वतन्त्र हो तो हमारे छात्र इंजीनियर, डाक्टर और किसान बन सकते हैं। आप इन गुलामीकी सनदोंका

  1. १८६८-१९३३; भारतके वाइसराय, १९१६-१९२१।
  2. कर्नल फ्रैंक जॉन्सन अप्रैल और मई १९१९ में मार्शल लॉ के दिनोंमें लाहौर क्षेत्रके कमांडर थे।
  3. संयुक्त प्रान्तके गवर्नर।