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सम्पूर्ण गांधी वाङ् मय


अब सरकार भारतीयोंकी बाढ़को रोकने के लिए अगले मार्च महीनेमें कानून बनाने का इरादा कर रही है। नगर-परिषदें सरकारसे अधिकसे-अधिक व्यापक अधिकारोंकी माँग कर रही है, ताकि वे भारतीयोंको व्यापारके परवाने पाने और जमीनजायदाद खरीदने आदिसे रोक सकें। परिणाम क्या होगा, यह कहना कठिन है। हमारी आशा केवल आपमें और उन सज्जनोंमें निहित है जो हमारी ओरसे लंदनमें काम कर रहे हैं। किसी भी हालतमें अब समय आ गया है जबकि ब्रिटिश सरकारको भारतसे बाहर जानेवाले भारतीयोंके सम्बन्धमें अपनी नीतिकी कोई घोषणा कर देनी चाहिए। वर्तमान परिस्थितियोंमें नेटालको सहायतायुक्त प्रवास जारी रखना बहत असंगत मालूम होता है। एशियाइयोंके उपनिवेशमें छा जानेका खतरा बिल्कुल है ही नहीं। भारतीय और युरोपीय कारीगरोंके बीच कोई प्रतिद्वंद्विता नहीं है। यह कहना करीब-करीब ठीक ही होगा कि नेटाल आनेवाले हर भारतीयके पीछे एक भारतीय भारतको वापस चला जाता है। इस पूरे मामलेपर श्री चेम्बरलेनके नाम एक प्रार्थनापत्रमें पूरी तरह प्रकाश डाला जायेगा। प्रार्थनापत्र तैयार किया जा रहा है। इस बीच यह पत्र इसलिए भेजा जा रहा है कि आपको पिछली घटनाओंका सार-रूपमें परिचय हो जाये। हम जानते हैं कि आपका समय दूसरे कामोंमें काफी घिरा रहता है। परन्तु हम आपको कष्ट देनेके कितने भी अनिच्छुक हों, अगर हमें न्याय प्राप्त करना है तो हमारे पास इसके सिवा कोई चारा नहीं है।

नेटालके भारतीय समाजकी ओरसे सधन्यवाद,

आपका आज्ञाकारी सेवक,
मो॰ क॰, गांधी

अंग्रेजीकी दफ्तरी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ १९६७) से।

२६. पत्र : ब्रिटिश एजेंटको

[डर्बन]
नेटाल
२९ जनवरी, १८९७

सेव
श्रीमान् ब्रिटिश एजेंट
प्रिटोरिया
महोदय,

चार्ल्स टाउनके रास्ते ट्रान्सवाल जानेवाले अनेक भारतीयोंको सीमा पार करने में कठिनाई होती है। कुछ दिन हुए सीमापर नियुक्त कर्मचारियोंने उन भारतीयोंको,