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प्रर्थनापत्र : उपनिवेश-मंत्रीको

यहाँ एक ऐसा व्यापार शुरू कर दिया है जो कि पुराने ढंगकी दूकानदारोसे कभी शुरू न होता। मैं मानता हूँ कि कहीं-कहीं एक-आध यूरोपीय दूकानदार भारतीयोंके कारण डूब गया है, परन्तु उनके यहाँ आनेसे अवस्था उन दिनोंकी अपेक्षा अच्छी हो गई है जबकि सारे व्यापारपर कुछ ही दूकानदारोंका एकाधिपत्य था। जहाँ-कहीं कोई अरब दूकानदार दिखाई देता है, हम उसे कानूनके मुताबिक ही चलता देखते हैं। हमने लोगोंको यह कहते सुना है कि उपनिवेशियोंको अपना जन्मसिद्ध अधिकार नहीं छोड़ना चाहिए—उन्हें अपनी जमीनपर भारतीयोंको कब्जा नहीं करने देना चाहिए। मुझे प्रायः निश्चय है कि में यदि अपनी सन्तानके लिए कोई जमीन छोड़ जाऊँगा तो वह उसपर स्वयं मेहनत करने की बजाय उसे उचित लगानपर भारतीयोंको उठा देना पसन्द करेगी। मेरे विचारमें इस सभाके लिए एशियाइयोंके विरुद्ध निन्दा-ही-निन्दाका प्रस्ताव पास करना न्यायसंगत नहीं होगा।

'नेटाल मर्क्युरी' के एक नियमित संवाददाताने लिखा है :

हम कुलियोंको यहाँ अपनी जरूरतसे लाये थे, और इसमें सन्देह नहीं कि उन्होंने नेटालकी उन्नतिमें बड़ी सहायता की है।. . .

पच्चीस वर्ष पहले यहाँके शहरों और कस्बोंमें फल, सब्जी और मछली कोई कठिनाईसे ही खरीद सकता था। गोभीका एक फूल यहाँ ढाई शिलिंगमें बिकता था। यहाँके किसान सब्जीकी खेती क्यों नहीं करते थे? सम्भव है कि इसका कुछ कारण उनको सुस्ती भी हो, परन्तु थोक पैदावार करना भी बेकार था। मैं ऐसे कई उदाहरण जानता हूँ कि गाड़ियों फल दूर-दूरके शहरोंमें अच्छी हालतमें पहुँचाये गये, परन्तु वे वहाँ बिक नहीं सके। जो व्यक्ति गोभीक एक-आध फूल ढाई शिलिंगमें खरीद सकता हो, वह स्वभावतः फूलोंसे लदी गाड़ी देखकर एक फूलके लिए एक शिलिंग देते हुए संकोच करेगा। इसलिए हमें ऐसे मेहनती फेरीवालों की जरूरत थी जो अपना निर्वाह मितव्ययितासे करते हुए, इन चीजोंको बेचकर, लाभ और सुख, दोनों उठा सकें। और हमारी यह जरूरत, शर्तबन्दीकी मीयाद खतम कर चुकनेवाले गिरमिटिया कुलियोंने पूरी कर दी। और घरों या होटलों आदिमें, रसोइयों और हजूरियोंकी जरूरत भी कुलियोंने पूरी कर दी, क्योंकि इन कामों में हमारे वतनी लोग बेशऊर सिद्ध होते हैं। और जो ऐसे नहीं होते वे, जैसे ही उनको मेहनत करके काम सिखा दिया गया, वैसे ही अपने गाँवोंका रास्ता नाप लेते हैं।

स्वतन्त्र कुली मजदूर, यदि वह कारीगर हो तो, कम मजदूरी लेकर भी खुशीसे यूरोपीय कारीगरकी अपेक्षा अधिक समयतक काम करता रहता है। और कुली व्यापारी सूती कम्बल गोरे दुकानदारसे आना-टका सस्ता बेच देता है। बस बात इतनी ही है।