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सम्पूर्ण गांधी वाङ् मय

 

(परिशिष्ट अ)
नकल

डर्बन
२४ दिसम्बर, १८९६

सेवामें
श्री डैनियल बर्टवेल, एम॰ डी॰
स्थानापन्न स्वास्थ्य अधिकारी
नेटाल बन्दरगाह
श्रीमन,

हमें, 'कूरलैंड' जहाजकी मालिक और 'नादरी' जहाजके मालिकोंकी प्रतिनिधि, इस नगरकी दादा अब्दुल्ला ऐंड कं॰ ने आपका ध्यान इस बातकी ओर खींच देनेकी हिदायत दी है कि ये दोनों जहाज, क्रमशः २५५ और ३५६ यात्रियोंको लिये हुए बम्बईसे इस बन्दरगाहके लिए चलकर, इस महीनेकी १८ तारीख, शुक्रवारसे इस बन्दरगाहके बाहर लंगर डालने की जगह पड़े हुए हैं। कारण यह है कि यद्यपि दोनों जहाजोंके मास्टर, १८५८ के कानून ३ के अनुसार, इस आशयके घोषणापत्रपर पहले भी हस्ताक्षर करने को तैयार थे और अब भी तैयार है कि वे प्रमाणित करते हैं कि उनके दोनों जहाजोंपर सारी यात्रामें पूर्ण स्वस्थता रही, और कानूनी आवश्यकता पूरी करने के लिए वे और भी सब-कुछ करने को तैयार हैं, फिर भी आपने उन्हें यात्री उतारने का अनुमतिपत्र नहीं दिया।

हमें हिदायत दी गई हैं कि हम आपसे प्रार्थना करें कि आप इन जहाजोंको तुरन्त ही यात्री उतारने का अनुमतिपत्र दे दें, जिससे कि वे बन्दरगाहमें आकर अपने यात्री और अपना माल उतार सकें।

यदि आपको हमारी प्रार्थना स्वीकार करने से इनकार हो तो हमें आपकी इनकारीके कारण जानकर प्रसन्नता होगी। यह मामला अत्यन्त शीघ्रता और महत्त्वका है, इसलिए अपना उत्तर अपनी सुविधानुसार शीघ्रतम देकर हमें अनुगृहीत कीजिए।

आपके आज्ञाकारी सेवक,
(हस्ताक्षर) गुडरिक, लॉटन ऐंड कुक