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प्रर्थनापत्र उपनिवेश-मंत्रीको

करेगी, और उन दोनों जहाजोंमें से एक भी व्यक्तिको डर्बनके बन्दरगाहपर नहीं उतरने दिया जायेगा (जोरकी तालियाँ)।"

दूसरी सभा ७ तारीखको हुई थी। उसकी कार्रवाईके निम्न अंश हम आजके 'मर्क्युरी' से उद्धृत कर रहे हैं :

श्री जे॰ एस॰ वाइली : "अभी किसीने कहा है कि 'जहाज डुबा दो', और मैंने एक मल्लाहको यह कहते सुना था कि जो कोई जहाजपर गोला छोड़ेगा, उसे मैं एक महीनेकी तनख्वाह दे दूँगा" (तालियाँ और हँसी)। "आपमें से क्या हर कोई इस कामके लिए अपनी एक महीनेकी तनख्वाह निछावर करने को तैयार है?" ('हाँ-हाँ' और 'सब-सब' की आवाजें)।

श्री साइक्स : "आपको अपना समय और कमाई, दोनोंकी कुर्बानी करने के लिए अपना मन पक्का कर लेना चाहिए। आपको अपना काम छोड़कर प्रदर्शनमें चलनेके लिए तैयार रहना चाहिए। सब-कुछ संगठित ढंगसे होना चाहिए—आपको अपने नेताओंकी आज्ञा माननी चाहिए। इसका कोई फायदा नहीं होगा कि हरएक आदमी एक-दूसरेको दूर ठेलता रहे (हँसी)। आपको आज्ञाका पालन कठोरतासे करना चाहिए। आज्ञा सुनते ही पंक्ति बाँध लीजिए और वही कीजिए जो आपसे कहा जाये" (तालियाँ, हँसी और 'फिर कहो' की आवाजें)। उन्होंने प्रस्ताव पेश किया "हम भारतीयोंके बन्दरगाहपर आते ही प्रदर्शन करते हुए जहाज-घाटपर पहुँचें, परन्तु हरएक आदमी नेताओंकी आज्ञा मानने का पाबन्द रहेगा" (तालियाँ)।

डॉ॰ मैकेंजी : "जब हम पिछली बार यहाँ जमा हुए थे, तब स्थिति जितनी विकट थी उतनी अब नहीं रही। हम उसी रास्ते आगे बढ़ रहे हैं जो हमने तय कर लिया था। हम सरकारकी स्थिति अच्छी तरह जानते हैं। उसकी जितनी भी ताकत है उससे वह हमारी सहायता करने को तैयार है। जहाँतक सरकारका सम्बन्ध है, उससे मुझे पूरा सन्तोष है। इस मामलेमें डर्बनके डच नागरिकोंसे सरकारकी पूर्ण सहमति है। इसलिए आपको ऐसा कोई खयाल नहीं करना चाहिए कि जिन सज्जनोंको निर्वाचकोंने इस समय शासककी स्थितिमें रख दिया है, उनके साथ आपका विरोध या टक्कर तो नहीं हो जायेगी। वे उपनिवेशके साथ है। और यह बात बधाईके लायक है। परन्तु दुर्भाग्यसे सरकारकी स्थिति ऐसी नहीं है कि वह भारतीयोंसे जोर देकर यह कह सके कि तुमको यहाँ नहीं उतरने दिया जायेगा, और तुम जिन जहाजोंसे आये हो उनसे ही तुम्हें वापस जाना पड़ेगा। ऐसा करना प्रायः असम्भव है; और इसलिए हमारी समितिने श्री एस्कम्बसे कह दिया है कि यह अवस्था बड़ी असंगत है। जब सरकारका तन्त्र उपनिवेशके असली फायदेकी बात और उसकी एकमात्र इच्छा पूरी नहीं कर सकता तो उपनिवेशके संविधानमें अवश्य कोई कमी होनी चाहिए (तालियाँ)। हमने उन्हें बता दिया है कि उपनिवेशी आग्रह रखेंगे कि यह हालत मिटाई जाये और सरकारकी स्थितिको इस तरह बदला जाये कि वह देशकी इच्छाओं और आवश्यकताओंको पूरा कर सके। श्री एस्कम्ब हमसे सहमत हैं और आपको मालूम ही है कि हालातका तुरन्त सामना करने के लिए