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प्रर्थनापत्र : उपनिवेश-मंत्रीको


दंगाइयोंके उद्देश्योंके सम्बन्धमें सरकार किसी प्रकारके भ्रममें न रहे, इस प्रयोजनसे हम उस सूचनाकी एक नकल इस पत्रके साथ नत्थी कर रहे हैं, जिसपर कप्तान स्पार्क्सके हस्ताक्षर हैं और जो कप्तान वाइली और उनके अन्य मातहतोंने कल 'कूरलैंड' जहाजके कप्तानपर तामील की थी। (यह पत्र अन्यत्र दिया गया है[१])।

कप्तान स्पार्क्स द्वारा हस्ताक्षरित इस सूचनाका असर यह हुआ है कि कई यात्रियोंको डर लगने लगा है कि यदि हम इस बन्दरगाहपर उतरे तो जीवित नहीं बचेंगे।

इसी प्रकार हम उस स्मरणपत्रकी भी एक नकल इसके साथ नत्थी कर रहे हैं, जो कप्तान वाइलीका लिखा हआ है और जो दोनों जहाजोंके कप्तानोंपर उनके दस्तखत करवाने के लिए तामील किया गया था और जिसके बारेमें उन्होंने बतलाया था कि इसमें लिखी हुई शतोंपर ही जहाजोंको यहाँ यात्री और माल उतारने दिया जायेगा। (परिशिष्ट ब क)

अन्तमें, हम अत्यन्त आदरपूर्वक पूछना चाहते हैं कि क्या सरकार इन उद्धृत कार्रवाइयोंको यों ही चलने देगी? इनका नतीजा सम्राज्ञीके प्रजाजनोंकी मृत्यु नहीं तो भी उनके आहत हो जाने के अलावा और कुछ नहीं हो सकता।

आपके आज्ञाकारी सेवक,
(हस्ताक्षर) दादा अब्दुल्ला ऐंड कम्पनी

(परिशिष्ट ब क)
नकल

सेंट्रल होटल
डर्बन, नेटाल
[११ जनवरी, १८९७]

'नादरी' जहाजके कप्तान और बन्दरगाह प्रदर्शन-समितिके बीच तय हुई शर्ते : १. 'नादरी' बन्दरगाहके बाहर लंगर डालने की जगह छोड़कर डर्बन बन्दरगाहमें नहीं आयेगा। २. नेटालवासी भारतीयोंकी पत्नियों और बच्चोंको उतरने दिया जायेगा। ३. जो भारतीय नेटालके पुराने निवासी हैं, उनके विषयमें समितिको यह निश्चय हो जानेपर कि वे नेटाल लौट रहे हैं, उन्हें उतरने दिया जायेगा। ४. शेष सबको 'कूरलैंड' जहाजमें सवार करा दिया जायेगा, और जो 'कूरलैंड' में नहीं समा सकेंगे उनको 'नादरी' जहाज वापस ले जायेगा। ४ क. जिन भारतीयोंको 'क्रूरलैंड' जहाज नहीं ले सकेगा उनको भारत वापस ले जाने के किराय-मात्रकी पूरी रकम समिति जहाजको दे देगी।

  1. देखिए पृ॰ २१६।