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सम्पूर्ण गांधी वाङ् मय

स्वयं माननीय प्रधानमंत्रीको भी विधेयककी न्याय्यता सिद्ध करना बहुत कठिन गुजरा। वे बहुत उत्सुक नहीं थे कि विधेयक पास हो ही जाये। उन्होंने कहा :

प्रस्तावकोंकी मांग है कि म्युनिसिपैलिटियोंको उनके वर्तमान अधिकारोंके अतिरिक्त परवाने देनेपर अंकुश लगाने के अधिकार दिये जायें। और उनका उद्देश्य क्या है, यह बताने में संकोचकी जरूरत नहीं है। उद्देश्य है, यूरोपीयोंके साथ होड़ करनेवालों को व्यापारके परवाने पानसे, जो यूरोपीयोंको लेने ही पड़ते हैं, रोकना। विधेयकका मंशा यही है। अगर यह मंशा मंजूर कर लिया गया तो दूसरा वाचन निश्चय ही मंजूर हो जायेगा। बादमें आपको तफसीलका निबटारा करना होगा। इस विधेयकको स्वीकार करने में प्रजाको स्वतन्त्रताके एक अंशका हरण दिखाई दिये बिना न रहेगा, क्योंकि अभी प्रजाको परवाना पानेका अधिकार मामूली तरीकेसे प्राप्त है और अगर यह विधेयक स्वीकार होकर कानूनमें परिणत हो गया तो उस प्रजाको यह अधिकार न रह जायेगा। फिर उसे वह अधिकार तभी मिल सकेगा, जब कि परवाना-अधिकारी देना उचित समझे। यह विधेयक कानूनी कार्रवाइयोंमें भी हस्तक्षेप करनेवाला है, क्योंकि अगर इसपर अदालतोंका अधिकार रहा तो इसका उद्देश्य विफल हो जायेगा। नगरपरिषदें अपने घटकोंके प्रति उत्तरदायी होंगी। परवाने देनेके बारेमें उनके निर्णयोंके खिलाफ अदालतोंमें अपील नहीं की जा सकेगी। इस विधेयकपर यह आपत्ति की गई है कि यह कानूनको अपना स्वाभाविक मार्ग ग्रहण करने न देगा। उत्तर यह है कि अगर, इस आपत्तिको माना जाये तो हम इस विधेयकको मंजूर ही क्यों करें? परन्तु इस विधेयकके अधीन अकेले परवानाअधिकारीको ही यह विवेकाधिकार प्राप्त होगा (वाह, वाह)! उन्होंने इस बातपर जोर देना उचित समझा कि इस विधेयकके अन्तर्गत व्यापारके परवानोंपर अदालतोंका अधिकार नहीं होगा। इस अधिकारका प्रयोग परवानाअधिकारी करेगा। अगर यह सदन मानता है कि इस विधेयकका दूसरा वाचन होना चाहिए तो तफसीलोंपर विचार कमेटीमें होगा। उन्होंने विधेयकको सदनके सामने पेश किया और यह बताना चाहा कि उसका मुख्य उद्देश्य उन लोगोंपर असर डालना है, जिनका निबटारा प्रवासी-विधेयकके अनुसार किया जाता है। जहाजोंके अधिकारियोंको अगर मालूम हो कि उन लोगोंको उतारना सम्भव न होगा तो वे उनको नहीं लायेंगे। और वे लोग भी यहाँ व्यापार करने नहीं आयेंगे, अगर उनको मालूम हो कि उन्हें परवाने नहीं मिलेंगे।

श्री सिमन्सने "उस विधेयकका विरोध किया। उन्होंने उसे अत्यन्त गैर-ब्रिटिश और अत्याचारी बताया।"

यह दिखलाई पड़ेगा कि केवल कुछ पौंड माल लेकर जगह-जगह घूमनेवाले फेरीवालोंको भी अपना हिसाब-किताब अंग्रेजीमें रखना होगा। सच बात तो यह है कि