पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/१२०

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४८. भाषण : शिमलाकी सार्वजनिक सभामे' १५ मई, १९२१

श्री गांधीने उत्तर' देते हुए कहा: यहाँ आनेके सम्बन्धमे मुझे यह कहना है कि पण्डित मदनमोहन मालवीयने मेरे पास एक तार भेजा था जिसमे उन्होने छिखा था--- आप शिमला आये। अगर आप न आयेगे तो स्वास्थ्य खराब होते हुए भी मुझे आपको लिवानेके लिए आपके

पास आना पडेगा।” तार पहुँचनेके बाद ही मुझे पण्डितजीकी चिट्ठी मिली जिसमे उन्होनें लिखा था कि अगर आप अपने अस॒हयोगी दलकी सारी बात वाइसराय लॉर्ड रीडिगके सामने रखनेके लिए उनसे मिलना चाहते हो तो आप उनसे मिल सकते

है। मुझे अपनी बात किसी सरकारी अधिकारीके सम्मुख रखनेमे कोई बुराई नही दिखी ।

इसलिए जब मे शिमला पहुँचा तब मैने वाइसरायकों इस आशयकी एक चिट्ठी भेजी कि मैं आपसे मुलाकात करना चाहता हूँ। वाइसरायने मुलाकात करना तुरन्त

भजूर कर लिया और जब मै उनसे मिला तब उन्होनें मेरी बातोको काफी देरतक धैयें और सौजन्यके साथ सुना। किन्तु मैं यह नहीं कह सकता कि मेरी यह भेट

कितनी सफल या असफल हुई। मैनें वाइसरायको बतराया कि हमारा दल क्या चाहता है और उन्होने भी शासनकी कठिनाइयाँ ब्यौरेवार बताईं। हमारी यह भेठ सफल भी कही जा सकती है और असफल भी। « « [मुझे] कहना यह है कि सब-कुछ इसपर निर्भर करता है कि काग्रेस,

सिख लीग और खिलाफत समितिके सम्मेलनमे गम्भीरतापूर्वक जो निश्चय किये गये है उनपर लोग किस हृदतक अमल करते है। इस समय तो मैं सिर्फ इतना ही कह सकता हूँ कि जबतक हमारा आन्दोलन शान्तिमय है और जबतक हममे आत्मत्यागका भाव मौजूद है और हम इन्हीके बरूपर अपने देशके प्रति न्याय प्राप्त करना चाहते हैं,तबतक ससारमे कोई ऐसी शक्ति नही है जो हमें इसी बरसके भीतर-भीतर स्वराज्य लेनेसे रोक सके। हम लोग ससारको यह दिखला देना चाहते है कि हमारा उद्देश्य न्याय प्राप्त करना है। हमारी समस्या १. गांघीजीने इईंदगाहके मैंदानमें भायोजित एक समभामें भाषण दिया जिसमें लगभग पन्द्रह हजार

लोग उपस्थित थे। उनसे प्रायंता की गई कि वे शिमछा आनेका उद्देश्य और वाहसरायके साथ हुईं बातचीतका परिणाम वतायें । गाघीजीका यह भाषण आजके १६ मईके अंकमें और बॉम्वे क्रॉनिकलके १७ और १९ महके अंकोंमें तवा नवजीवनके २९-५-१९२१ के अंकरमे प्रकाशित हुआ था। यहां आजका

विवरण बॉम्वे क्रॉनिकुड और नवजीवनके विवरणोंते मिला लिया गया है । २. इससे पूर्वदिये गये मानपत्रका उत्तर । ३० देखिए “ शिमला-यात्रा ”,२०-७५-१९२१ ।