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अशोभन आचरण और भारतमें मालेगाँवकी अशुभ घटनासे असहयोगकी नाप-जोख करना उतना ही गलत है जितना कि डायरों या ओ'डायरोंके पैमानेसे समूची अंग्रेज जातिकी।

अली बन्धुओंकी सफाई

अपने कुछ भाषणोंके बारेमें अली बन्धुओंने जो छोटा-सा बयान दिया है, मैं जानता हूँ कि उसकी सार्वजनिक रूपसे चाहे प्रतिकूल आलोचना न हो पर आपसी चर्चाओंमें तो जरूर ही होगी। इसलिए उनकी सफाईको अच्छी तरह समझ लेना जरूरी है। शुरूसे सारी बातको तो मैं अभी नहीं उठा सकता, सिर्फ इतना कह सकता हूँ कि जब दो-चार दोस्तोंने उनके भाषणोंके कुछ हिस्सोंकी ओर मेरा ध्यान खींचा तो मैंने महसूस किया कि उनमें उग्रता है और उससे हिंसाको भड़कानेवाला मतलब भी निकाला जा सकता है। उनके गिरफ्तार किये जानेकी अफवाह भी काफी गरम थी। गलत समस्याको उठाकर और खास तौरपर अपने मत यानी अहिंसाका खण्डन करके किसी भी असहयोगीका जेल जाना अनुचित है। मैंने तुरन्त ही उनका ध्यान भाषणोंके आपत्तिजनक माने जानेवाले उन हिस्सोंकी ओर खींचा और यह सलाह दी कि अपने दृष्टिकोणका स्पष्टीकरण करते हुए उन्हें फौरन बयान देना चाहिए। क्षणिक जोशमें आकर आदमी जिस भाषाका इस्तेमाल कर बैठता है उससे ऐसा मतलब भी निकल सकता है, जो कभी उसका मंशा न रहा हो। जब आदमी कानूनके डरकी परवाह नहीं करता और सिर्फ अपनी अन्तरात्मासे डरता है, तब तो उसे दुहरी सावधानी बरतनी चाहिए। लेकिन पूरी तरह सावधान रहनेके बावजूद कई बार आदमी चूक जाता है। अली बन्धुओंके कन्धोंपर कम बोझा नहीं है। इस्लामकी प्रतिष्ठाका सवाल उनकी सबसे बड़ी जिम्मेवारी है। व्यवहारमें सचाई और ईमानदारी तथा आचरणमें अत्यधिक विनम्रता और उच्च कोटिके साहसको पूरी तरह अपना कर ही वे अपनी इस जिम्मेदारी को ठीक-ठीक निभा सकते हैं। मुझे उनकी ईमानदारी, सचाई, निडरता, साहस और विनम्रतापर पूरा भरोसा है और हमारी दोस्तीका, जिसे कि गठबन्धनके नामसे पुकारा जाता है, आधार भी उनके ये गुण ही हैं। आज देशमें सबसे अधिक निन्दा भी इन्हीं कारणोंसे की जाती है। उनकी नीयतपर हर तरहके सन्देह किये जाते हैं; उनके इरादोंको दुर्भावनापूर्ण बताया जाता है। यहाँतक कहा जाता है कि उन्होंने मुझे अपनी कठपुतली बना रखा है। मुझे विश्वास है कि ऐसे मिथ्या आरोप देर तक टिके नहीं रह सकते; आगे-पीछे झूठ क्या है और सच क्या, यह साबित हो ही जायेगा। लेकिन जरूरी था कि जल्दबाजी में बगैर सोचे-समझे वे जो कुछ कह गये हैं उसका उपयोग उनकी प्रतिष्ठा और सदाशयताको क्षति पहुँचानेके लिए न करने दिया जाये। आत्मसम्मानी व्यक्तिके लिए उसकी नीयतपर सन्देह करनेसे अधिक चोट पहुँचानेवाली बात और कोई नहीं हो सकती। अपनेको लांछित होनेसे बचाना खुद उनके अपने हाथमें है, इसलिए मैंने उन्हें वह बयान देनेकी सलाह दी जो अभी-अभी छपा है। मेरी रायमें उनके इस बयानसे खिलाफतकी जिस लड़ाईकी वे रहनुमाई कर रहे हैं उसका दर्जा और रुतबा ऊँचा ही हुआ है। दूसरे कार्यकर्त्ताओंके लिए उन्होंने एक मिसाल