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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


होता तो मुझे सन्तोष हो जाता; किन्तु आपने तो तनिक भी त्याग नहीं किया है। मैं अपने भाइयों और बहनोंसे फिर प्रार्थना कर रहा हूँ कि आप इस कोषमें जो भी दे सकें दें। आपने कबूल किया है कि घाटकोपर ऐसी जगह है जहाँ बम्बईके धनी भारतीय व्यापारी रहते हैं। उस बातको ध्यान में रखते हुए आपके द्वारा इकट्ठी की गई रकम इतनी थोड़ी है कि इससे मुझे निराशा हो रही है। इस कोषके लिए अकेला में ही रुपया इकट्ठा नहीं कर रहा हूँ। अली भाई मंचपर मौजूद हैं; उनके सम्बन्ध में कहा गया है कि में उनके इशारेपर चला करता हूँ। यह सच नहीं है। अली भाइयोंको अपने धर्मसे प्रेम है और मुझे भी अपना धर्म प्यारा है। हम दोनों ही अपने-अपने धर्मोका त्याग करनेवाले व्यक्ति नहीं हैं। हममें से हर एकका अपना एक धर्म है और हमें उसका पालन पूरी तौरपर करना है, फिर उसका परिणाम कुछ भी निकले। इसके अलावा यहाँ महान् व्यक्ति हकीम अजमलखाँ साहब आये हुए हैं। ये कोई मामूली आदमी नहीं हैं जो घाटकोपर यों ही चले आये हों। उनकी फीस बहुत ऊँची है। हकीम साहब कहीं जानेका एक दिनका एक हजार रुपया लेते हैं। ये वे डाक्टर नहीं हैं जिन्होंने पाश्चात्य चिकित्सा-विज्ञान पढ़ा हो; इनको कुछ रामबाण नुस्खे मालूम हैं जिन्हें और लोग नहीं जानते। फिर यहाँ डाक्टर अन्सारी भी आये हुए हैं। ये पाश्चात्य चिकित्सा-विज्ञानके विशेषज्ञ हैं। इन्हें लोगोंको मार डालनेकी सनद मिली हुई है, (हँसी) क्योंकि अगर कोई डाक्टर किसी आदमीके प्राण हर ले तो हम उसके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं कर सकते। (हँसी) इनके अलावा यहाँ एक महान् व्यक्ति मौलाना अबुल कलाम आजाद भी मौजूद हैं। इस्लाम धर्म और इस्लामी कानूनके मामलोंमें इनकी बात बहुत प्रामाणिक मानी जाती है। ये सब बड़े-बड़े लोग घाटकोपर क्यों आये हैं? आपके सामने भाषण देनेके लिए नहीं। यह समय भाषण देनेका नहीं बल्कि काम करनेका देशके लिए ठोस काम करनेका ― है।

घाटकोपर के निवासियोंने मुझ अकेलेको ४०,००० रुपये दिये हैं; किन्तु वे हकीम अजमलखाँ और डाक्टर अन्सारी-जैसे अन्य अतिथियोंको क्या देंगे? आपको सेठ जमना लाल बजाज, शंकरलाल तथा यहाँ आये हुए दूसरे कार्यकर्त्ताओंको भी कुछ देना है। आप लोगोंने पूर्ण रूपसे अनुभव नहीं किया है कि यह वह अवसर है जब इस देशका सच्चा गौरव परखा जानेवाला है। यह असम्भव है कि ऐसे संकटके समय इस देशके निवासी अपने देशके गौरवके प्रति उदासीन रहें। अभी हमें ४० लाख रुपये भी नहीं मिले हैं। हम अभीतक २० लाख ही इकट्ठे कर पाये हैं। बम्बई नगरका यह कर्त्तव्य है कि वह शेष ६० लाख रुपये दे और इस बारेमें मुझे कोई सन्देह नहीं कि आप मुझे इतना रुपया दे सकते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि बम्बई नगर कांग्रेसको इतनी रकम दे देगा। इस नगरमें रहनेवाले चार बड़े-बड़े समाजों ― भाटिया, मेमन, मारवाड़ी और पारसीपर मुझे विश्वास है। पारसी लोग मुझे क्या देंगे यह में नहीं