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भाषण : मानपत्रके उत्तरमें

नगरपालिका क्या करे, इस बारेमें मुझे इतना ही कहना है कि आपने कांग्रेसकी सलाहके मुताबिक चलनेका जो वचन दिया है उसका पालन करो और अस्पृश्यताको दूर करनेके लिए कमर कसकर तैयार हो जाओ। चरखेको एक ओर छोड़कर मैंने पहले इस बातका उल्लेख किया है। चरखा हमारे पुरुषार्थका सूचक है लेकिन अस्पृश्यता-की गन्धतक न रहने देना तो हिन्दुओंके लिए पुरुषार्थकी चरमसीमा है । चरखेकी प्रवृत्तिमें कार्य करना पड़ता है जब कि इसमें तो भावनाको बदलना-भर है।

मैं कल रात गोधराके भंगीवाड़ेमें गया था । वहाँकी स्थिति देखकर मेरा हृदय बड़ा दुःखी हुआ। मुझे आश्चर्य होता है कि जो चीज मोटे तौरपर दिखाई पड़ जाती है उसे इतनी सूक्ष्म दृष्टि रखनेवाला हिन्दू समाज क्यों नहीं देख पाता। उनकी पीठपर अदीठ हो गया है, इसका उन्हें पता क्यों नहीं चलता।

आप शहरका कूड़ा-करकट साफ करनेके लिए, लोगोंका स्वास्थ्य सँभालनेके लिए,बालकोंको शिक्षा देनेके लिए, रोगोंके प्रसारको रोकनेके लिए नियुक्त किये गये हैं। यह कार्य आपसे तभी हो सकेगा जब आप भंगियोंका उद्धार करेंगे। इंग्लैंडने जिस तरह बेल्जियम-जैसे छोटे-छोटे राज्योंके लिए लड़ाई लड़नेका बहाना बनाकर अपना स्वार्थ साधा उसी तरह यदि हम भी अपनी जेबें भरनेका विचार करेंगे तो हमारे स्वराज्य का कोई अर्थ नहीं है ।

इस सरकारको मैं राक्षसी क्यों कहता हूँ ? क्योंकि उसने निर्बलकी रक्षा करने-के लिए नहीं वरन् उनका भक्षण करनेके लिए तलवार खींची थी। हमारे स्वराज्य अथवा धर्मराज्यमें तो निर्बलकी सेवा करनेकी भावना ही रहेगी। हम जब शान्तिमय स्वराज्य प्राप्त करनेके लिए तपश्चर्या करेंगे तभी सच्चे स्वराज्यवादी कहलायेंगे ।

इसलिए भंगियोंका उद्धार करना आपका सर्वप्रथम कर्त्तव्य है । उनका निवास-स्थान स्वच्छ होना चाहिए, उनके घर साफ होने चाहिए, उनके लिए पानीकी व्यवस्था होनी चाहिए। मैं अब अपने आपको भंगी कहता हूँ। मुझे तो भंगीवाड़ेमें रहने में आनन्द आता है। यह मेरा सच्चा विलास है। उनके बालकोंको खिलानेमें मुझे आनन्द मिलता है । इसलिए मेरे जैसा व्यक्ति भंगीवाड़ेमें रह सकता है । जबतक उनकी स्थिति ऐसी नहीं हो जाती कि वे स्वास्थ्यके नियमोंका पालन कर सकें तबतक यह नहीं कहा जायेगा कि नगरपालिकाने अपना कर्त्तव्य निभाया है।

हमें इस समय राष्ट्रीय स्कूलका मतलब चरखा स्कूल ही समझना चाहिए। कारण शिक्षा तो ऐसी होनी चाहिए जो हमें पुष्ट करे, जिससे हम स्वतन्त्र हों और तेजस्वी बनें। शिक्षा सम्बन्धी अपनी भूलको मैं अब सुधारनेकी कोशिश कर रहा हूँ । सरकार जैसी शिक्षा देती है वैसी ही शिक्षा देनेका हम प्रयत्न करेंगे तो हम पिछड़ जायेंगे । हम यदि अपनी जनतामें शक्तिका संचार करना चाहते हैं तो चरखा ही हमारे लिए रामबाण है। चरखा इस शिक्षाके लिए सुनहरी योजना है। यदि आप स्कूलोंमें चरखेको स्थान देंगे तो इसका अर्थ होगा कि आपको स्कूलोंके लिए भिक्षा नहीं मांगनी पड़ेगी।

[ गुजरातीसे ]

नवजीवन, ५-५-१९२१