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२३४. भाषण : चोपाटीकी सभा, बम्बईमें[१]

१ अगस्त, १९२१

यह लोकमान्य तिलकके नामका ही जादू था कि कल श्री सोबानीके मैदानमें दो लाख स्त्री-पुरुषोंकी भीड़ एकत्र हुई। उस दृश्यने मेरी आत्माको अभिभूत कर दिया। कल बम्बईने जो अग्नि-शिखा प्रज्ज्वलित की वह पारसी मन्दिरकी अग्निके समान अखण्ड रूपसे जलती रहेगी और हमारे सारे कलुषको उसी प्रकार क्षार बनाती रहेगी जिस प्रकार कि हमने कल अपने भीषणतम बाहरी कलुष अर्थात् विदेशी वस्त्रोंको क्षार किया। यह हमारे विदेशी वस्त्रोंका स्पर्श न करनेके निश्चयका प्रतीक बने! हिन्दू, मुसलमान, जैन, सिख, पारसी, ईसाई, यहूदी तथा भारतको अपना घर माननेवाले अन्य धर्मावलम्बी सभी समाज, विदेशी वस्त्रोंकी अस्पृश्यताको अपना कर्त्तव्य समझें। यह सभी भारतीय सम्प्रदायोंके लिए समान रूपसे आवश्यक धर्म हो। जिस प्रकार विदेशी वस्त्रोंकी अस्पृश्यता हम सबके लिए पुण्य है उसी प्रकार दलित जातियोंकी अस्पृश्यता प्रत्येक धर्मनिष्ठ हिन्दूके लिए पाप होनी चाहिए। इसलिए कल हमने एक प्रशंसनीय कुर्बानी की। लोकमान्य तिलककी यादगार मनानेके लिए बम्बईने अपनेको उपयुक्त सिद्ध कर दिखाया है। हम उनके आत्म-बलिदान, निर्भीक साहस तथा सादगीकी यादगारको निधिके समान सुरक्षित रखें। उन्होंने देशभक्तिको अपना धर्म बना लिया था। इसलिए हम अपनेको उनके स्वराज्यके स्वप्नको साकार बनाने में लगा दें। स्वराज्यसे कम कोई भी स्मारक उनकी यादगारको समुचित रूपसे स्थायी नहीं बना सकता।

और जैसा कि मैंने कल कहा था, सच्ची स्वदेशीके बिना भारतकी मुक्ति नहीं। जिस अग्निको हमने कल प्रज्ज्वलित किया वही सच्ची और आवश्यक बलिदानकी ज्वाला है।

बाहरी अग्निपर जो बात लागू होती है वही आन्तरिक अग्निके सम्बन्धमें भी है। कल की बाहरी अग्नि मेरे लिए अन्तःस्थित अग्निका प्रतीक है। वह हमारे मस्तिष्क तथा हृदयकी सारी दुर्बलताओंको भस्मीभूत कर दे। इस प्रकार परिष्कृत विवेक हमें स्वदेशीकी सच्ची आर्थिक उपयोगिता बताये। इस प्रकार परिष्कृत किये गये हमारे हृदय विदेशी वस्त्रके आकर्षणके प्रलोभनसे बचने के लिए हमें बल प्रदान करें। विदेशी वस्त्र भारतके बाहर चाहे कितना ही उपयोगी क्यों न हो, किन्तु वह भारतके लिए अधिक उपयोगी नहीं है।

यदि वह अग्नि जिसे हमने कल जलाया था सच्ची है, वह श्रद्धांजलि जिसे लोकमान्यकी स्मृतिमें चढ़ानेके लिए आज हम एकत्र हुए हैं, सच्ची है तो हम अपनेको अथवा राष्ट्रको धोखा न देनेकी पूरी सावधानी बरतेंगे। खादीको राष्ट्रीय पोशाक

  1. इस भाषणका पाठ छापकर श्रोताओंमें वितरित किया गया था।