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टिप्पणियाँ

ही उदारतापूर्वक योगदान दिया है और जो अपने लड़के तकको इसके लिए समर्पित कर चुके हैं, उस स्थानको जहाँ बलिदानकी आग जलाई गई थी, राष्ट्रको समर्पित कर देंगे जिससे कि वहाँ इस घटनाकी यादगार-स्वरूप किसी उपयुक्त स्मारकका निर्माण किया जा सके। इसी प्रकार हमें यह स्थान भी, जहाँ हम आज एकत्र हुए हैं और जहाँ हमने लोकमान्यके अवशेष जलाये थे, प्राप्त कर लेना चाहिए, यहीं उनकी भस्मीसे असहयोगकी शक्ति उत्पन्न हुई है। पिछले अगस्तकी पहली तारीखको असहयोगका जन्म हुआ था और कल परेल स्थित श्री सोबानीके मैदानमें राष्ट्रने वह कार्य प्रारम्भ किया जो, मेरे विचारमें, स्वराज्य प्राप्त करनेके लिए प्रायः अन्तिम मंजिल है। ईश्वर करेगा तो आगामी ३० सितम्बरतक भारत अपने उद्देश्यकी प्राप्तिके अयोग्य नहीं रहेगा।

स्वयंसेवकोंके सम्बन्धमें दो शब्द कहकर मैं अपनी बात समाप्त करना चाहता हूँ। अकसर हमपर दोष मढ़ा जाता है कि हम संगठन कार्यके अयोग्य हैं। फिर भी कल पुलिसकी बिलकुल जरूरत नहीं पड़ी और न कोई दुर्घटना ही हुई। विदेशी वस्त्र संग्रह करनेसे लेकर जलाने तकके सारे कार्यकी व्यवस्था स्वयंसेवकोंने ही की। इसका सारा श्रेय उन्हें और हमारे अन्य सहायकोंको है। इसी प्रकार धैर्ययुक्त, मौन तथा शान्तिपूर्ण प्रयत्नोंसे हम स्वतन्त्रता-संग्रामको भी जीतनेकी आशा करते हैं।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ४-८-१९२१

२३५. टिप्पणियाँ

आन्ध्रका गौरव'

आखिरकार कोण्डा वेंकटप्पैया और उनके बैरिस्टर और वकील मित्र गिरफ्तार हो गये। एक प्रसिद्ध बैरिस्टर और एक वकीलकी गिरफ्तारीका समाचार पानेपर यदि यह भी सुननेको मिलता कि श्री वेंकटप्पैयाको गोली मार दी गई है तो आश्चर्य न होता। उन्होंने कमेटीकी मंजूरी मिलनेसे पहले इन गिरफ्तारियोंपर एक सप्ताहकी हड़ताल घोषित कर दी थी। मुझे हड़ताल करना एक गलत कदम मालूम पड़ा था। अभीतक मेरा यही विचार है। किन्तु फिर उनका तार आया कि हड़ताल शान्तिपूर्वक चल रही है। फिर उनके चार सहयोगियोंकी और स्वयं उनकी गिरफ्तारीकी सूचना तारसे मिली। मैं कोण्डा वेंकटप्पैयाको आन्ध्रका गौरव समझता हूँ। इस महान् प्रान्तमें जब और सब सुप्त थे वे जाग उठे। उनमें जबरदस्त चरित्रबल है। उन्होंने अहिंसाको अपना सिद्धान्त मान लिया है और वे उसका पूरी तरह्से पालन कर रहे हैं। अन्य बहुतसे देशभक्तोंके साथ वे बरसोंसे देशसेवामें लगे हुए हैं। और जब कि वे गिरफ्तार कर लिये गये हैं तब मुझे लगता है कि सरकार बिलकुल पागल हो गई है। उसका यह कार्य पागलपनकी पक्की निशानी है। यह मेरे लिए भविष्यमें शीघ्र विजय मिलनेका चिह्न भी है। बस, आन्ध्रके मित्रोंको शान्त और अनुद्विग्न रहना चाहिए। वे वीर और धार्मिक वृत्तिके लोग हैं। उनमें दृढ़ संकल्प है। वे कर्मठ कार्य-

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