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सिखोंका रंग

प्रस्तावित राष्ट्र-ध्वजके रंगों के प्रश्नपर सिख भाई अनावश्यक रूपसे क्षुब्ध हो रहे हैं। वे अपने सैनिक महत्त्वके कारण यह चाहते हैं कि उनका काला रंग भी राष्ट्रध्वजमें रखा जाये। इसके औचित्य या अनौचित्यकी बात छोड़ दें तो उनका क्षोभ अकारण है, क्योंकि यह प्रश्न अभी तो अ॰ भा॰ कांग्रेस कमेटीमें भी विचार या निर्णयके लिए नहीं रखा गया है। और उनकी इस आपत्तिको ध्यानमें रखते हुए, जबतक मैं उनको यह विश्वास नहीं करा देता कि उनकी माँग अनुचित है तबतक, मेरा विचार इसे समितिके सम्मुख रखनेका नहीं है। इसके औचित्य या अनौचित्यपर विचार करें तो मुझे इसमें तनिक भी सन्देह नहीं है कि उन्हें अपनी आपत्ति वापस ले लेनी चाहिए। सफेद रंगमें अन्य सब रंग आ जाते हैं। विशेष महत्त्वकी माँग करनेका अर्थ यह है कि वे संख्यामें बड़ी दोनों जातियोंमें मिलना नहीं चाहते। यदि हिन्दुओं और मुसलमानोंमें कोई झगड़ा न होता तो मैं तो एक ही रंग रखना पसन्द करता। सिखों और हिन्दुओंमें कभी कोई मतभेद नहीं रहा। और मुसलमानोंसे उनका झगड़ा वैसा ही है जैसा हिन्दुओंका है। मतभेदों या विशेषताओंपर जोर देना खतरनाक बात हैं। हमें यह देखना चाहिए कि समानता किन बातोंमें है। प्रमुख मुसलमान मित्रोंने सिखोंकी माँग की बात सुनकर मुझे सलाह दी कि सफेद या लाल एक ही रंग रखा जाये। किन्तु यह भी ठीक नहीं है। लाल और हरे दो रंग तो रहने ही चाहिए जिससे सदा बोध होता रहे कि हमारी एकता बढ़ रही है। राष्ट्रवादी सिखोंके सम्मुख क्या-क्या कठिनाइयाँ हैं, यह मैं जानता हूँ। सिखोंके दलमें सरकारके गुर्गे हैं वे उनमें फूट डालनेके लिए धूर्ततापूर्ण सुझाव दे रहे हैं और सिख स्वभावतः शंकित हैं। सर्वोत्तम यही है कि हम कोई चिन्ता न करें। यदि वे हिन्दुओं या मुसलमानोंके विरुद्ध या सामान्यतः असहयोग आन्दोलनके विरुद्ध कृत्रिम रूपसे खड़ी की गई हर शिकायतके विरोधके लिए कटिबद्ध हो जायें तो उनके लिए कोई भी मंच बाकी न बच रहेगा। राष्ट्रवादी सिखोंको चाहे वे कम हों चाहे ज्यादा, अपना विचार स्थिर कर लेना चाहिए और उनकी प्रतिष्ठा कम करनेवाले लोग चाहे कुछ भी कहते रहें, उससे विचलित न होना चाहिए।

सिखोंका प्रतिनिधित्व

अतः राष्ट्रीय रंगोंके विषयमें सिखोंकी शिकायतको व्यर्थ समझते हुए भी मैं इस स्थितिमें प्रतिनिधित्व के विषयमें उनके भयको उचित मानता हूँ। उन्हें कांग्रेसने यह आश्वासन दे दिया है कि यदि मुसलमान लखनऊ-समझौतेपर हठ पकड़ेंगे तो उस दशामें उनको साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व दे दिया जायेगा। कार्यकारिणी समितिने मुसलमानोंमें फूट डालनेके प्रयासोंके कारण केवल परामर्श रूपमें निर्देश दिये हैं। अतः सिखोंको भी ऐसे ही आश्वासन प्राप्त करनेका अधिकार है। हमें उनको ऐसे आश्वासन देनेमें कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए। यह प्रश्न प्रधानतः पंजाबके तीनों सम्प्रदायोंके आपसी समझौतेका है। समिति तो केवल सहायक निर्देश दे सकती है।