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सविनय अवज्ञा

पराध गिरफ्तार होनेमें हमारी विजय है। हम जितने अधिक निर्दोष होंगे हमारी शक्ति उतनी ही बड़ी होगी और हमें विजय उतनी ही तीव्र गतिसे मिलेगी।

असल बात यह है कि यह सरकार भीरु है और हम कारावाससे डरते हैं। सरकार हमारे जेलके डरका लाभ उठाती है। यदि हमारे स्त्री-पुरुष जेलको आरोग्यस्थल समझकर उसका स्वागत करें तो हम जेलमें पड़े हुए अपने प्रियजनोंकी चिन्ता करना छोड़ देंगे; इन जेलोंको हमारे दक्षिण आफ्रिकी देशभाइयोंने तो 'सम्राट्के होटल' उपनाम दिया था।

हम लोग बड़े अरसेसे मनमें सरकारके नियमोंकी अवहेलना करते रहे हैं, और बहुधा लुके-छिपे उनको माननेसे बचते रहे हैं; इस कारण हम अचानक ही सविनय अवज्ञा करनेके योग्य नहीं बन सकते। अवज्ञा सविनय बने इसलिए हमें उसपर अहिंसात्मक ढंगसे और खुल्लमखुल्ला आचरण करना होगा।

पूर्ण सविनय अवज्ञा एक शान्त विद्रोहकी दशा है——वह सभी सरकारी कानूनोंको माननेसे इनकार करनेकी दशा है। यह निश्चय ही सशस्त्र विद्रोहसे अधिक खतरनाक है। क्योंकि सत्याग्रहियोंकी घोर कष्ट सहन करनेकी तत्परताकी दशामें इसका दमन सर्वथा असम्भव है। इसका आधार है यह पूर्ण आस्था कि हममें निर्दोष होनेपर भी कष्ट सहनकी पूरी क्षमता है। सत्याग्रही बिना शोर-गुल मचाये जेल जाता है तो वह अवश्य ही वातावरणको शान्त बनाता है। प्रतिरोधकी अनुपस्थितिमें अन्यायकारी अन्याय करते-करते थक जाता है। जब पीड़ित व्यक्ति कोई प्रतिरोध नहीं करता तो अन्यायकारीका सारा आनन्द चला जाता है। इतने बड़े पैमानेपर एक आन्दोलन चलानेसे पहले कमसे-कम जनताके प्रतिनिधियोंको सफल सविनय अवज्ञाकी सब शर्तोंका पूरा ज्ञान कर लेना आवश्यक है। जल्दीसे-जल्दी लाभ पहुँचानेवाली ओषधियोंमें हमेशा ज्यादा-से-ज्यादा खतरा होता है और उनको बड़ी चतुराईसे काममें लाना पड़ता है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि यदि हम विदेशी कपड़ेका सफल बहिष्कार कर लें तो ऐसा वातावरण तैयार हो जायेगा जिसमें हम इतने बड़े पैमानेपर सविनय अवज्ञा शुरू करनेमें समर्थ हो सकेंगे जिसका विरोध कोई सरकार नहीं कर सकती। अतः मैं उनसे, जो सामूहिक रूपसे सविनय अवज्ञा आरम्भ करनेके लिए आतुर हैं, धीरज रखने और स्वदेशीके प्रचारपर अपना ध्यान कृतसंकल्प होकर केन्द्रित करनेका अनुरोध करना चाहता हूँ।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ४-८-१९२१