पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/५७८

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय संयुक्त-प्रान्तमें मैंने जो-कुछ देखा उससे मैं इस निष्कर्षपर पहुँचा हूँ कि वहाँ एक ऐसा परोक्ष आतंकवाद चालू है जैसा शायद सिन्धको छोड़कर अन्यत्र कहीं नहीं है। इसका एकमात्र उद्देश्य असहयोगकी समस्त प्रवृत्तियोंको कुचल डालना है, चाहे वे कितनी ही अहिंसात्मक और सब प्रकारसे निर्दोष क्यों न हों। अली भाइयोंके क्षमा याचनाके वक्तव्यका भी अत्यन्त बेईमानीभरा उपयोग किया जा रहा है उसका उपयोग करनेवाले अली भाइयोंकी क्षमा-याचनाकी रीति और विधिसे परिचित है। परन्तु अली भाइयोंके इस वीरतापूर्ण कार्यको विकृत रूपमें प्रस्तुत करना इन लोगोंकी उन धूर्तताओं- की तुलनामें कुछ नहीं है जिन्हें ये असहयोगियोंको झुकाने और दूसरोंको उनके मार्गसे हटाने के उद्देश्यसे प्रयोगमें लाते हैं। मुझे पक्का पता है कि असहयोगका झण्डा उठानेकी हिम्मत करनेवाले निर्धनोंको इसलिए सताया जाता है कि वे कांग्रेस कमेटीमें शामिल न हों और उनको वैसे ही आपत्तिजनक तरीकोंसे उन शान्ति सभाओंमें शामिल होनेके लिए बाध्य किया जाता है जो वस्तुतः गैरकानूनी हैं; क्योंकि उनके बनाने और चलाने में अवैध और अनैतिक विधियाँ अपनाई जाती है। संयुक्त-प्रान्तकी सरकार कूट और भीरु ढंगसे वही कर रही है जो सर माइकेल ओडायरकी सरकारने लट्ठमार तरीकेसे किया था। उन्होंने अपनी नीतिके अनुरूप अमल किया और सब नेताओंको गिरफ्तार कर खुलेआम जलियाँवालाका वातावरण बनानेका साहस दिखाया था। मैं इस तथ्यकी ओर दूसरे स्थानोंपर पाठकोंका ध्यान आकृष्ट कर चुका हूँ कि पंजाबमें सैनिक भरतीके दिनोंमें जलियाँवालासे भी भीषण घटनाएँ हो चुकी हैं, किन्तु उनकी ओर किसीका ध्यान नहीं गया, क्योंकि नेता गिरफ्तार नहीं किये गये थे। संयुक्त- प्रान्तकी सरकार श्री शेरवानीके जैसे इक्के-दुक्के उदाहरणोंको छोड़कर बड़े नेताओंको गिरफ्तार नहीं करेगी। सरकारने श्री रंगा अय्यरको गिरफ्तार किया है। उसने अभी तक पण्डित जवाहरलाल नेहरू या श्री जोजेफको हाथ भी नहीं लगाया है, हालांकि चुनौती तीनोंने साथ-ही-साथ दी थी। मैंने संयुक्त-प्रान्तके अपने निरीक्षणको लेखबद्ध करनेका झंझट इसलिए उठाया है कि मैंने श्री चिन्तामणिका वह भाषण पढ़ा है जिसमें उन्होंने सरकारकी कार्रवाईका जोरदार समर्थन किया है और मुझपर यह जोर भी डाला गया है कि मैं पूर्ण उत्तरदायी सरकारकी तरह सुधारोंको कार्यान्वित करनेवाले उन मन्त्रियोंको प्रोत्साहन दूं। मेरे तुच्छ विचारमें जहाँ भी सम्भव है वहाँ सुधारोंको और सुधारोंके अन्तर्गत बनाये गये मन्त्रियोंका उपयोग चतुर परन्तु बेईमान नौकरशाहीको सहारा देनेके लिये किया जा रहा है। मंत्री इस बातको नहीं जानते और वे अनचाहे उसके हाथोंकी कठपुतली बन रहे हैं, किन्तु इससे नीतिकी सदोषतामें कोई कमी नहीं आती। हाँ, इस स्थितिमें मंत्रियोंका दोष कुछ हलका जरूर मालूम पड़ता है। मुझे यह विश्वास करने में हिचक है कि राजा साहब महमूदाबाद और श्री चिन्तामणि यह जानते है कि वे क्या कर रहे हैं। मेरा खयाल तो यही होता है कि वे नौकरशाहीके जालमें मजबूरन फँस गये हैं और उनके सम्मुख जो प्रत्यक्षतः उचित दिखनेवाली दलीलें रखी गई हैं उनके कारण वे उन बातोंको क्षम्य मान लेते हैं जिन्हें बेहिचक निन्दित ठहराते। 'इंडिपेंडेंट' ने लिखा है कि राजा महमूदाबादने उस जिला न्यायाधीशके कार्यका समर्थन किया है जिसने पूर्वी बदायूंके एक मुन्सरिमको अपने बेटेका, अन्यथा Gandhi Heritage Portal