पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/५८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२७
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

आसानीसे कर सकते हैं। हिन्दुस्तानमें हर जगह पारसी भाइयोंके हाथमें शराबखाने हैं। स्वराज्यका पहला काम यह है कि देशमें शराबखाना न हो, शराब बनानेकी बड़ी-बड़ी भट्टियाँ न हों। किसी-किसी स्थानपर दवाके लिए शराबकी छोटी-छोटी भट्टियाँ भले ही हों। लेकिन इस शराबका अफीम अथवा विषकी तरह उपयोग किया जाना चाहिए। विषकी दुकानें स्थान-स्थानपर नहीं होतीं। उसे प्राप्त करना मुश्किल है लेकिन फिर भी दवाइयोंकी दुकानपर तो वह मिल सकता है। उसी तरह शराब मिलनी भी मुश्किल होनी चाहिए।

मैं स्वदेशीके जबरदस्त आन्दोलनमें पारसियोंकी मदद मांगता हूँ। आप यह जानकर खुश होंगे कि एक पारसी बहनने शुद्ध स्वदेशी चालीस साड़ियोंका आर्डर दिया है। मद्रासमें हाथके कते सूतकी महीन साड़ियाँ बुनी जा सकती हैं। अगर पारसी बहनोंको सरुचिपूर्ण साड़ियोंकी जरूरत हो और जो उन्हें पुसाये भी तो वैसी साड़ियाँ बेजवाड़ामें तैयार हो सकती हैं।

अनेक पारसी बहनोंने स्वदेशीको अपनाया है। लेकिन मैं तो लोभी ठहरा, कंजूस ठहरा । इसलिए जबतक इतनी छोटी कौमके सब लोगोंमें उज्ज्वलताके दर्शन न हों तबतक मुझे खुशी न होगी । आप रेशमी वस्त्रमें शोभा मानते हैं लेकिन आप खादी पहनकर ही सच्चे अर्थोंमें अपनेको तथा हिन्दुस्तानको शोभान्वित कर सकेंगे। अनेक हिन्दू अभी खादी नहीं पहनते, मुसलमान भी नहीं पहनते। लेकिन आप दूसरोंके उदाहरण-को न लें। दूसरे बुरे बनें तो आपको बुरा बननेकी जरूरत नहीं है। आपकी कौम करोड़ों हिन्दू-मुसलमानोंके सामने उदाहरण पेश कर सकती है। जब मैं सूरतमें हाथ-बुनाई-की एक फैक्टरी देखने गया तब मुझे यह देखकर आनन्द हुआ कि एक पारसी भाई स्वदेशीके काममें कुछ मदद कर रहे हैं। लेकिन मैं उतने ही से खुश होनेवाला नहीं हूँ। आप अपने-अपने घरोंमें चरखेको स्थान दें। आप पारसी बहनें बहुत बारीक सूतकात सकती हैं। आप अपनी कस्ती [यज्ञोपवीत] के लिए बहुत बारीक ऊन कातती हैं। अपनी इस शक्तिको आप हिन्दुस्तानको अर्पित करें।'

आपके लिए तो यही एक देश है। इस देशको छोड़कर संसारमें ऐसा कोई भी देश नहीं जिसकी इंचभर भूमिको भी आप अपना कह सकें। हमारे शास्त्रोंमें तो कहा गया है कि मोक्ष प्राप्त करनेके लिए संसार-भरमें भारतवर्षको छोड़कर और कोई स्थान नहीं है। आपके लिए तो सद्गुणोंका विकास करने और उनका प्रदर्शन करनेके लिए यही एक स्थान है। आप हिन्दुस्तानको उज्ज्वल बनायें, उसे वीर पुरुषों-की भूमि बनायें ।

हिन्दुओंने संसारके इतिहास में अपना क्या योगदान दिया है, उसके बारेमें मैं क्या कहूँ ? हमारा इतिहास गौरवमय है। लेकिन यदि हम अपनी प्राचीन विरासतके आधार-पर लड़ेंगे तो हार जायेंगे । हमें अपने पूर्वजोंके समान बनकर दिखा देना चाहिए । हमारे ऋषि-मुनियोंने हमारे धर्मको बचानेके लिए अपना अंग-अंग कट जाने दिया।

१. इसके बाद गांधीजीने सभामें उपस्थित हिन्दुओंको सम्बोधित करते हुए कुछ शब्द कहे। इसकी रिपोर्ट भी नवजीवनके इसी अंकमें गांधीजीके पात्रा-विवरणके साथ छपी थी ।