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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इतनी अथवा इससे अधिक अथवा कम रकम इकट्ठी करनेका व्यावहारिक कदम यह है कि प्रत्येक जिले और प्रत्येक देशी राज्यके कार्यकर्त्ता यथाशक्ति चन्दा इकट्ठा करनेका काम उठा लें ।

यही बात कांग्रेसकी सदस्यताके बारेमें लागू होती है। जहाँ लोगोंमें अधिक जागृति है वहाँ अधिक सदस्य बननेकी उम्मीद होनी चाहिए। सूरत और नडियाद-जैसे शहर, जहाँ बहुत ज्यादा जागृति आ गई है, अगर अपने हिस्से-भरके सदस्य देकर सन्तुष्ट रहेंगे तो हम हाथ आई हुई बाजीको खो बैठेंगे। जिन गाँवोंमें भारी जागृति आ गई है वहाँके लिए तो मैं जरूर यह उम्मीद करता हूँ कि वहाँके २१ वर्षसे ऊपरके हर स्त्री, पुरुष, ढेढ़, भंगी, हिन्दू और मुसलमानको कांग्रेसका सदस्य बनना चाहिए । यदि किसी गरीब व्यक्तिके पास चार आने न हों तो उसके पड़ोसीको चाहिए कि वह उसे उतने पैसे देकर उसका नाम दर्ज करवाये ।

जो बात सदस्यता और चन्देपर लागू होती है वही बात चरखेपर भी लागू होती है। जहाँके लोग अधिक कार्यदक्ष हैं वहाँ अधिक चरखोंको अवश्य दाखिल किया जाना चाहिए। इस तरह परस्पर एक-दूसरेकी सहायता करके ही हम जून मास तक अपनी छोटी, सरल और जो सबकी समझमें आ जाये, ऐसी योजनाको अमलमें ला सकेंगे ।

यद्यपि योजना आसान है तथापि अगर हम आलस्यमें पड़े रहेंगे तो उसे कदापि पूरा नहीं कर सकेंगे । जब सब कार्यकर्त्ता ईमानदारीसे निरन्तर यथाशक्ति काम करेंगे तभी हमारी योजना सफल होगी। यह योजना हमारी परीक्षा है, कसौटी है। स्वराज्य-की योग्यता प्राप्त करनेकी दिशामें यह प्राथमिक शिक्षा है। लेकिन यह शिक्षा हमें इतनी दूर तक पहुँचा देगी कि अगर हम इस परीक्षामें उत्तीर्ण हो जायें तो बाकी की शिक्षाके लिए तीन महीनोंकी भी कदाचित ही जरूरत होगी, क्योंकि यह परीक्षा हमें आत्मविश्वास, हिम्मत और बल देनेवाली है।

मुझे उम्मीद है कि गुजरात अपने धर्मका पूरा-पूरा पालन करेगा ।

गुजरातकी बहनोंमें जो जागृति आ गई है उससे मैं चकित हो उठा हूँ। उनके हाथमें बहुत शक्ति है। स्वराज्य प्राप्त करनेकी योजनामें बहनोंका भाग पुरुषों जितना ही है बल्कि उनसे ज्यादा ही है। मेरी ईश्वरसे प्रार्थना है कि बहनें अपना योगदान देकर अपनी, गुजरातकी और भारतकी कीर्ति और धर्मको गौरवान्वित करें।

[ गुजरातीसे ]

नवजीवन, १-५-१९२१