पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 21.pdf/१००

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
७०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लेकिन बहादुरी के साथ कदम बढ़ाओ;

ईश्वरमें आस्था रखो और सत्कर्म करो।


छल प्रपंचका नाश होता है

प्रकाशसे भयभीत होनेवाली सभी चीजों का नाश हो जाता है।

पराजय में या विजयमें,

ईश्वर में आस्था रखो और सत्कर्म करो।


किसी दल, सम्प्रदाय या गुटमें

विश्वास मत करो,

इस युद्धमें किसी नेताका भरोसा मत करो;

प्रत्येक शब्द और कर्ममें,

ईश्वर में आस्था रखो और सत्कर्म करो;


भावनाओंके मोहन रूपके

भुलावेमें मत आओ,

मित्र देवदूत जैसे दिख सकते हैं;

किसी रीति-रिवाज, विचारधारा या फैशनका

भरोसा मत करो,

ईश्वर में आस्था रखो और सत्कर्म करो।


कुछ तुमसे घृणा और कुछ प्यार करेंगे

कुछ लोग चाटुकारिता,

और कुछ अपमान करेंगे;

मनुष्यकी ओर ध्यान मत दो, ऊपरकी ओर देखो,

ईश्वरमें आस्था रखो और सत्कर्म करो।


सरल नियम और सर्वोत्तम पथ-प्रदर्शन,

आन्तरिक शान्ति और आन्तरिक शक्ति

यही हमारा पथ-प्रदर्शक ध्रुवतारा हो,

ईश्वर में आस्था रखो और सत्कर्म करो।


लड़खड़ाओ मत, भाई, साहस करो

भले ही तुम्हारा पथ अंधकारमय हो,

लेकिन दीन लोगोंका पथ-प्रदर्शन करनेवाला

एक तारा आकाशमें है।

ईश्वर में आस्था रखो और सत्कर्म करो।