पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 21.pdf/९९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
६९
खिलाफतका अर्थ

अन्धसे भी बदतर लोग खड्डमें गिरा देंगे। मुझे विश्वास है कि व्यक्तिगत रूपसे आप स्वयं अपने उच्च आदर्शोंसे, न्याय, देशभक्ति और आत्माको मुक्तिकी निस्वार्थ भावनासे विमुख नहीं हैं, किन्तु आपके चारों ओर समाजमें सुषुप्तावस्था में पड़ी ऐसी प्रबल शक्तियाँ जागृत हो सकती हैं जो आपको बुद्धिमत्ता से बहुत परे खींच ले जाये और आपसे ऐसे कार्य करा डालें जो राष्ट्रके सच्चे हितके विपरीत हों। आपके देशमें वे सारे तत्व मौजूद हैं जो भारतको रूस बना दे सकते हैं, या आयरलैंडके सिन-फैन आन्दोलनसे ग्रस्त बना सकते हैं, या उसे गृह-युद्धका मैदान बना सकते हैं, विभिन्न सम्प्रदायों और जातियोंके बीच भयंकर रक्तपात करवा सकते हैं। भारत जैसे देशमें विभाजन की स्थिति फैला सकते हैं जिसमें आपके यहाँके स्वतन्त्र रजवाड़े दो दलोंमें बेंटकर एक-दूसरेके मुकाबले उठ खड़े हों; और सबपर नियन्त्रण और सबको मिलाकर रखनेवाली कोई ऐसी ताकत न हो जो शान्ति कायम रख सके, प्रगतिके कदम न रुकने दे, और एक अधिक पूर्ण राष्ट्रीय जीवनकी ओर समग्र देशको ले जा सके। आपके रास्ते में चारों ओर छिपे हुए जाल और गढ़े हैं, जिनसे आप ईश्वरको इच्छाका स्पष्ट बोध होनेपर और उस इच्छाका पालन करनेपर ही बच सकते हैं। यदि आप जनताको इच्छाओंको सब-कुछ मानकर उसके हिसाब से चलेंगे तो बहुतसे लोग आपकी जय-जयकार करेंगे और आपके पथपर फूल-पत्तियाँ बिछायेंगे। किन्तु यदि आप आग्रहपूर्वक ईश्वरको इच्छापर चलते रहेंगे तो वे ही लोग शोर माचयेंगे और कहेंगे "इसे सूलीपर चढ़ा दो, इसको दूर कर दो।” आपको इसका उदाहरण मालूम ही है। ईसाने अविचल भावसे ईश्वरकी इच्छाका अनुसरण किया। नतीजा यह हुआ कि जनताने उन्हें ठुकरा दिया। ईसाके उद्देश्य परम पुनीत थे, उनका राज्य अत्यधिक आध्यात्मिक था, उनके तरीके बहुत ही दिव्य थे, जो जनताकी समझमें नहीं आये। वे मर गये, किन्तु ईश्वरने उन्हें फिर जिला दिया, और इस पुनरुज्जीवनको विश्व-चिन्तनका जीवन-सम्बल बना दिया। उन्हें मानव-मात्रकी आवश्यकताएँ पूरी करनेवाला त्राता बना दिया, अपना प्रतिनिधि और शास्ता बना दिया।

लड़खड़ाओ मत भाई, साहस करो,

भले ही तुम्हारा पथ रातकी तरह अँधेरा हो;

लेकिन दीन लोगोंका पथ-प्रदर्शन करनेवाला

एक तारा आकाशमें है,

ईश्वर में आस्था रखो और सत्कर्म करो।

भले ही रास्ता उबड़-खाबड़ और कठिन हो और मंजिल दूर हो,

शक्ति हो या पैर थक गये हों,