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खिलाफतका अर्थ

सबसे बड़ी चीज देवी प्रकाश, सिद्धान्तोंमें देख सकनेवाली पैनी दृष्टि और सच्चे राजनीतिज्ञकी दूरदर्शी बुद्धि है। निस्सन्देह आप अब्राहम लिंकनके जीवनसे, उनकी स्पष्टदर्शी दृष्टि, उनकी असंदिग्ध ईमानदारी, कोमल सहृदयता, विनम्रता, विनोद और मानवीयतासे परिचित हैं।

मैं अपने मित्रोंसे अक्सर कहता हूँ, 'यदि आप श्री गांधीका पक्ष सुनें और वर्तमान प्रणालीके अन्तर्गत जो जबर्दस्त शिकायतें उनकी हैं, उन्हें सुने तो आप उनके विरोधका कारण समझ जायेंगे ।"

प्रश्न यह है कि वर्तमान बुराइयोंको दूर करनेके लिए भारतके सामने सबसे कल्याणप्रद तरीका क्या है। हड़तालों, और हिंसासे लोगोंमें क्रोध और घृणा और तरह-तरहकी सैकड़ों दुर्भावनाएँ और असन्तोष उत्पन्न होता है, और परिणामतः ज्यादातर मामलोंमें उनका उद्देश्य ही विफल हो जाता है। यदि प्राप्त होनेवाले लाभके साथ सद्भावनाएँ, एकता और शान्तिकी अपेक्षा हो, तो जरूरी है कि जो भी सुधार हों, वे संवैधानिक तरीकेसे प्राप्त किये गये हों। विप्लवकारी तरीकोंसे होनेवाली उपलब्धि सहज और प्राकृतिक नहीं है। इतनी दूर एक कोनेमें बैठा हुआ मैं सच्चे मनसे यही प्रार्थना कर सकता हूँ कि ईश्वर आपका दिशा-दर्शन करे और आपको अपनी कृपा प्रदान करे, तथा आपको भारतके सच्चे कल्याणका साधन बनाये।

इन पंक्तियोंमें लेखककी हार्दिकता और सचाई स्पष्ट झलकती है। मैं जानता हूँ कि यह मित्र सच्चे और ईश्वर-भीरु ईसाई हैं। लेकिन जिसे टर्कीके सवालका तनिक भी ज्ञान है, वह देख सकता है कि पत्र लेखकके मनमें टर्कीके खिलाफ जबर्दस्त पूर्वग्रह हैं। आर्मीनियनोंको "एक शानदार उद्यमशील तथा नेक" जाति बताकर उन्होंने इस प्रश्नके बारेमें अपनी अनभिज्ञता ही सिद्ध की है। इसके लिए उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता। अंग्रेजी लिखने-पढ़नेवाली जनताके सामने टर्कीके पक्षकी बातें न आने पायें, इसकी पूरी कोशिश की गई है। विश्वके विभिन्न भागोंमें फैले हुए इन नेकदिल ईसाइयोंको केवल एक ही ढंगकी चीजें पड़नेको मिलती है। मिशनरी पत्रिकाएँ घोररूपसे, बल्कि मैं कहने जा रहा था, अपराधकी सीमातक टर्की-विरोधी और इस्लाम-विरोधी हैं। सन्त पॉलने उदारताके बारेमें इतना ज्यादा लिखा, लेकिन ईसाई धर्म प्रचारकोंकी पत्रिकाओं में लिखनेवाले लोग जब इस्लाम और टर्कीके बारेमें कुछ लिखते हैं तो उनके मनमें उदारता शब्दका भी कहीं आभास नहीं मिलता। उनके विचारसे तुर्क लोग घोर अधर्मी हैं जिनका निर्माण ईश्वरने सिर्फ इसलिए किया है कि दुनिया उन्हें कोसे, अभिशाप दे। यह पूर्वग्रह किन्तु ईमानदारी भरा दृष्टिकोण ही सत्य और न्यायका रास्ता रोककर खड़ा है।

मैं आर्मीनियनों या यूनानियों के मुकाबले तुर्कीका बचाव नहीं करना चाहता। तुर्कोंके कुशासन और उनके बुरे कार्योंसे मैं इनकार नहीं करता। लेकिन यूनानियों और आर्मीनियनोंका इतिहास इससे लाख दर्जे बुरा है। इससे भी बड़ी बात यह है कि