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३१. हिंसा और अहिंसा साथ-साथ नहीं चल सकती

हिंसा और अहिंसा दो परस्पर विरोधी, एक दूसरेका विनाश करनेवाली शक्तियाँ हैं| अहिंसा इसलिए कि सफलता के लिए पूर्णतः अहिंसक वातावरणकी आवश्यकता है। मोपलाओं के विद्रोहने वातावरण जितना खराब कर दिया है उतना असहयोग आन्दोलन के आरम्भसे अबतक किसी अन्य कारणसे नहीं हुआ। मैं ये पंक्तियाँ सिलहटसे लिख रहा हूँ। आज २९ अगस्त है। जबतक यह लेख छपेगा जनताके पास और अधिक जानकारी पहुँच जायेगी। जो कुछ वहाँ हुआ है इसकी मुझे बहुत थोड़ी जानकारी है। मैंने दैनिक समाचारपत्रोंके तीन अंक देखे हैं जिनमें 'एसोशिएटेड प्रेस' के तत्सम्बन्धी समाचार प्रकाशित हैं। इन समाचारोंका जिस सावधानीसे सम्पादन किया गया है उसकी ओर बरबस ध्यान खिंच जाता है। किन्तु यह स्पष्ट है कि मोपलाओंके हाथों आधा दर्जन व्यक्ति मारे गये हैं और वहाँ उनके भी सैकड़ों व्यक्तियोंकी जानें गई हैं। मलाबारमें फौजी कानून लागू है। अभी सरकार द्वारा बदला लेना बाकी है। विद्रोही जितने बहादुर होंगे उन्हें उतना ही कठोर दंड दिया जायेगा। सरकारोंका यही कानून होता है। यदि मोपला पूरी तरह अहिंसक बने रहते तो जितनी जनहानि उन्होंने सही है उससे भी दस गुनी हानिकी में परवाह नहीं करता। वैसा हुआ होता तो वे स्वराज्यको बहुत ही पास ले आते। स्वराज्य के लिए अपने जीवनमें हम जो भी कुछ दे सकें थोड़ा है। मोपलाओं के लिए तो इसका अर्थ खिलाफत सम्बन्धी अन्यायका दूर होना भी हो सकता था। ईश्वर पुनीत बलिदान चाहता है। हमारे रक्तमें क्रोध या घृणाका लेश भी नहीं होना चाहिए। जो त्याग अपनी कीमत माँगे वह स्वेच्छासे किया गया त्याग नहीं है। मोपलाओंने कीमत माँगी है। इससे बलिदानकी पवित्रता, उसकी शोभा बहुत हदतक नष्ट हो गई है। अब तो कहा जायेगा कि मोपलाओंको ठीक ही सजा मिली।

यदि केवल मोपला ही मरते तो किसी भी प्रकारका फौजी कानून लागू न होता और यदि होता तो वह बहुत स्वागत योग्य होता। उससे हमारे देशको बरबाद करनेवाली यह सरकार ही खतम हो जाती।

आजकल तो चाहे अकाल हो, या कुलियोंका स्थानान्तरण अथवा मोपलाओंका विद्रोह, हर विपत्तिके लिए असहयोगको ही उत्तरदायी ठहराना फैशन बन गया है। यह असहयोगकी व्यापकताका अत्युत्तम प्रमाण है। किन्तु इस अभियोगके समर्थन में मद्रास सरकारने अभीतक कुछ नहीं कहा है।

हमारा कर्तव्य स्पष्ट है। असहयोगियोंको स्पष्ट कर देना चाहिए कि इस उत्पातमें उनका कोई हाथ नहीं है। हमारे व्यवहारसे कहीं भी यह जाहिर नहीं होना चाहिए कि मोपलाओंने जो कुछ किया है उसका हम मानसिक रूपसे या गुप्त समर्थन करते हैं। हमें स्पष्ट जान लेना चाहिए कि हिंसाका किसी भी प्रकारसे समर्थन करना हमारे लिए अशोभनीय होगा। हमें मोपलाओंकी ओरसे हुई हिंसाकी गुरुताको कम करनेवाले