पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 21.pdf/१०९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
७९
गो-रक्षाका उपाय

ऊपर। चम्पारनमें अपना काम करते हुए मुझे बिहारकी गरीबीका अनुमान हो गया था। मुझे उन्हीं दिनों पता लगा था कि बिहारकी अधिकांश स्त्रियाँ केवल एक वस्त्रसे ही काम चला लेती हैं। सच तो यह है कि जो वस्त्र वे पहनती हैं उसके अतिरिक्त उनके पास और कुछ होता ही नहीं। यह बात सीधे मुझे बतानेमें तो उन्हें शर्म लगती थी किन्तु उन्होंने मेरी पत्नीसे कहा था कि यदि मैं उनके घर जाऊँ तो मुझे पुराने चिथड़ोंके अतिरिक्त और कुछ नहीं मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा था कि "गांधीजी हमें प्रतिदिन स्नान करनेको कहते हैं। किन्तु यदि उस वस्त्रको धोनेके लिए जिससे हम अपना तन ढाँकती हैं, हमें नग्न होना पड़े तो यह काम हम गांधीजीके कहने से भी नहीं कर सकतीं।” बिहारकी गरीबीका यह हाल है! यदि इन स्त्रियोंको चरखे दे दिये जायें तथा उन्हें दो-दो आना दैनिक मजदूरी मिल जाया करे तो मुझे पूर्ण आशा है कि वे यह काम पूरे उत्साहसे शुरू कर देंगी और उसमें पूरी शक्तिसे लगी रहेंगी। मुझे मालूम है कि नीलकी खेती करानेवाले जमींदार मजदूरोंको मजदूरी में प्रतिदिन ६ पैसे देते हैं। यदि उन्हें यह पता चले कि चरखेसे उन्हें छ: पैसेकी जगह दो आना प्रतिदिन मिलेगा तो हमें समझाने-बुझानेकी भी जरूरत नहीं होगी और बात अपने-आप बन जायेगी। हमें अपना कार्य इन तरीकोंसे तुरन्त आरम्भ कर देना होगा। बिहारसे मुझे बहुत आशा है। उसपर मेरा विशेष अधिकार है। आशा है कि वह मुझे मेरे अधिकारसे वंचित नहीं करेगा। मैं चाहता हूँ कि मैंने जो बातें कहीं हैं, आप लोग गाँवोंमें रहनेवालोंको समझायें। ये बातें शायद गाँववाले न समझ पायें, पर आप लोगोंको, जो शहरोंके रहनेवाले हैं, दुनियाका विस्तृत अनुभव है। इसलिए यह आपका कर्त्तव्य है कि आप गाँवके लोगोंको ये बातें समझाएँ। स्वराज्यके आन्दोलनके लिए तीन बातें बहुत महत्त्व रखती हैं। इनको पूरा किए बिना हम अपने संघर्ष में आगे नहीं बढ़ सकते। पहली है सम्पूर्ण हिन्दू-मुस्लिम एकता। हिन्दुओं और मुसलमानोंमें भाईचारेकी भावना पैदा होनी चाहिए। स्वराज्य आन्दोलनकी सफलताकी यह पहली शर्त है। दूसरी बात यह है कि हमारा यह शान्तिपूर्ण तथा अहिंसात्मक आन्दोलन हमेशा शान्तिपूर्ण तथा अहिंसात्मक ही रखा जाये। जो आदमी इस विषयपर थोड़ा-सा भी विचार करेगा, वही आसानीसे समझ सकता है कि हम हिंसा द्वारा कभी भी सफल नहीं हो सकते। यदि हम तलवार खींचेंगे तो हम केवल अपनी ही हानि करेंगे, क्योंकि दूसरे कारणोंको चाहे हम न मानें लेकिन यह तो मानना ही होगा कि हमारे पास हवाई जहाज आदि जैसे युद्ध के आधुनिकतम साधन नहीं हैं। इसलिए किसी भी परिस्थितिमें आप शान्ति भंग न करें। हमें अंग्रेजोंके साथ और स्वयं अपने बीच, सहयोगियों और असहयोगियोंके तथा जमींदार और रैयत के बीच, मनसा, वाचा और कर्मणा शान्ति बनाये रखनी है। तीसरी बात यह है कि हमें विदेशी कपड़ेका बहिष्कार तुरन्त ही करना है और अपनी आवश्यकता के लिए अपने घरों तथा गांवोंमें कपड़ा उत्पादन करना है। तभी हम अपने तीन लक्ष्योंकी प्राप्ति कर पायेंगे।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ८-९-१९२१