समयका आन्दोलन कुछ कष्टोंके निवारणके लिए शुरू किया गया था, परन्तु वर्तमान आन्दोलनका उद्देश्य अधिक ऊँचा और महान् है, अर्थात् स्वराज्यकी प्राप्ति है। आप लोग विदेशी मालका पूर्णरूपसे बहिष्कार कीजिए उन्हें जला डालिए। कुछ लोगों ने मुझसे कहा है कि इन कपड़ोंको खुलनाके अकाल पीड़ित लोगोंको भेज दिया जाये। मैं इस सुझाव के विरुद्ध हूँ क्योंकि मैं नहीं चाहता कि इन गरीब लोगोंका कलेवर विदेशी वस्त्ररूपी जहरसे दूषित हो। यदि आप इन लोगों की मदद करना चाहते हैं, तो आप अपने स्वदेशी कपड़े भेजिए और स्वयं लुंगियाँ धारण कीजिए।
अमृतबाजार पत्रिका, ९-९-१९२१
३४. तार : फरीदपुरकी कांग्रेस और खिलाफत समितियोंको
[ १० सितम्बर, १९२१ के पूर्व ]
बादशाह मियाँ आबू खलीद रशीदुद मियाँको[१] उनकी गिरफ्तारीपर मुबारकबाद। उनके हजारों अनुयायियों और मित्रोंके उत्तेजित हो उठनेकी सम्भावना है। मैं उनसे अनुरोधपूर्वक कहूँगा कि वे तत्काल ही स्वदेशी अपनाकर अर्थात् सभी विदेशी-वस्त्रोंका बहिष्कार और हाथकी कती और हाथकी बुनी खादीका उत्पादन करके नेताओं के प्रति अपना आदरभाव व्यक्त करें। मेरा विश्वास है कि लोग निरुद्विग्न, शान्त और मर्यादित रहेंगे। लोगोंको शान्त करनेके लिए मौलाना आजाद सोबानी कुछ मित्रोंके साथ फरीदपुर रवाना हो रहे हैं।
गांधी
अमृतबाजार पत्रिका, १०-९-१९२१
- ↑ बंगालके एक धार्मिक पुरुष।