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असम के अनुभव ― २

सभामें तो २० हजारसे भी ज्यादा लोग रहे होंगे क्योंकि वहाँ तमाम जिलेके लोग उमड़ पड़े थे।

चाटगाँग

सिलहट से हम चटगाँव पहुँचे। इसका बंगला उच्चारण ऊपर लिखे अनुसार है। यह बहुत बड़ा और सुहावना बन्दरगाह है। यह चार गाँवोंसे मिलकर बना है, इसीसे वह चटगाँव कहलाता है। बहुतसे अरबी लोग वहाँ रहते हैं और एक बड़े पीर भी वहाँ हो गये हैं, इससे वह इस्लामाबाद भी कहा जाता है। कितने ही बौद्ध भी वहाँ आकर बस गये थे, इससे बौद्धोंने भी उसका एक अलग नाम रखा था। चटगाँव के पास ही विशाल नदी बहती है और उससे कुछ ही दूरी पर बंगाल की खाड़ी है। यहाँ अनेक पहाड़ियाँ हैं। इससे यहाँका प्राकृतिक सौन्दर्य देखते ही बनता है। यहाँ जो बड़ी-बड़ी पहाड़ियाँ हैं उनपर अदालतों और रेलवेके दफ्तर हैं। यहाँके नामी वकील श्रीयुत एन० गुप्तने बड़ा काम किया है। अपनी भारी वकालत छोड़ दी है। अब आप स्वयंसेवकोंके कप्तान हैं। बंगालके सैकड़ों स्वयंसेवक खादीके कुरते और स्वराज्यकी टोपी पहनते हैं। बम्बईकी तरफके स्वयंसेवक धोतीको काममें असुविधाजनक मानते हैं। यह बात यहाँके स्वयंसेवकोंमें नहीं पाई गई। पूर्व बंगालके लाखों मुसलमान भी धोतियाँ ही पहनते हैं। हिन्दू लोग ज्यादातर नंगे सिर रहते हैं। हाँ, मुसलमान भाई अलबत्ता टोपी लगाते हैं। दोनोंमें इतना ही भेद दिखाई देता है। परन्तु खादीका प्रचार होनेके बादसे तो कितने ही बंगाली हिन्दूस्वयंसेवक भी टोपी लगाने लगे हैं।

अलीभाई गिरफ्तार हों तो?

सिलहट पहुँचने के बाद मैंने अलीभाइयोंकी गिरफ्तारीके बारेमें तार पढ़ा। तभी से मैंने अपने भाषणोंमें उसके भी विषयमें कुछ कहना शुरू किया। मुझे पूर्ण विश्वास है हैं, कि ये दोनों भाई बिलकुल निर्दोष हैं। बल्कि जबतक वे शान्तिमय असह्योगमें शामिल हैं तबतक वे कभी तन, मन और वचनसे न अशान्ति चाहेंगे, और न करेंगे; वरन् वे दूसरोंको वैसा करनेसे रोकेंगे। इस प्रतिज्ञापर वे अटल हैं। और वे बहादुर तो हैं ही। डरके मारे वे अशान्तिका प्रचार न करते हों या स्वयं शान्ति भंग न करते हों, सो बात नहीं है। बल्कि वे तो बुद्धिपूर्वक अपने गुस्से और जोशको रोके हुए हैं। ऐसे बेगुनाह लोगों के जेल भेजे जानेपर लोगोंके दिलको चोट पहुँच सकती है। पर ऐसे समय लोग अगर सीधी-सच्ची राह पकड़ लें तो नैया पार हो जाये, और अगर बदहवास होकर उलटे रास्ते जाने लगें तो बरबादी ही समझिए। अतएव अगर अली भाई जेल भेजे गये तो उस दशामें लोगोंके लिए यही एक मार्ग है कि वे शान्तिका पूर्ण अवलम्बन करें और स्वदेशी के पालन में अबतक जो शिथिलता उन्होंने दिखलाई है उसे दूर करके तीव्रता दिखायें तथा अपने पास जो कुछ विदेशी कपड़ा रख छोड़ा हो उसे 'स्वाहा' कर दें। जिन लोगोंने अबतक चरखा कातनेमें आलस्य किया हो वे आलस्य छोड़ दें और अपना कुछ समय सूत कातनेमें दें। जो लोग अबतक सरकारी मदरसों में अपने लड़कोंको भेजते रहे हैं वे, इस पाप से छुटकारा