पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 21.pdf/१२८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
९८
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दी। दिवालीको अभी दो महीने हैं। इस बीच तो हम स्वराज्य प्राप्त करके सच्ची दिवाली मना सकते हैं। अतएव हम ऐसा करें कि इस मासमें विलायती कपड़ेका पूरा बहिष्कार कर डालें, और ऐसी स्थिति प्राप्त कर लें जिसमें अपना आवश्यक कपड़ा चरखेके द्वारा तैयार हो सके और फिर अक्तूबर में स्वराज्य प्राप्त करके हम सच्ची दिवाली मना सकते हैं। दिवाली मनानेकी असली तैयारी तो यह है कि हम दिवालीके पहले ही स्वराज्य प्राप्त कर लें। इतने दिनोंमें हम स्वराज्य क्यों नहीं प्राप्त कर सकेंगे ? इसमें अगर कोई कठिनाई है तो वह महज हमारी कमजोरीकी ही है।

लेकिन यदि दिवालीके पहले स्वराज्य न मिल सके तो फिर हमें क्या करना चाहिए ? बस, मातम मनाना चाहिए। न बढ़िया खाने बनाये जायें, न दावतें दी जायें, न नाच-गान किया जाये। बस, संयमके साथ रहकर ईश्वर-प्रार्थना की जाये। भरतने जब चौदह वर्ष तक तपस्या की थी तब कहीं दिवाली मनानेका समय आया था। अब क्या हम इससे उल्टा चलें ? कु-समय में गाना किस कामका ? बिना भूखके खाना किस कामका ? स्वराज्यके बिना उत्सव किस बातका ? दिवालीके दिन सादेसे-सादा भोजन करना चाहिए, प्रातः काल उठकर भगवान्‌का भजन करना चाहिए और तमाम दिन चरखा कातना चाहिए। उस रोज खादी के सिवा दूसरा कोई कपड़ा बदनपर न डाला जाये। और कोई वस्त्रदान करना चाहे तो वह भी खादीका ही किया जाये। पटाखे तो हम छोड़ ही कैसे सकते हैं ?

इस तरह दिवाली मनानेंकी दो विधियाँ हैं -- एक स्वराज्य प्राप्त करके दिवाली मनाई जाये, और दूसरी, स्वराज्य प्राप्त करने की तैयारी की जाये। अब इन दोमें से किस रीति से दिवाली मनायें, यह बात तो हमारी शक्तिके ऊपर अवलम्बित है।

[ गुजरातीसे ]
नवजीवन, ११-९-१९२१


४१. भाषण : मिदनापुरमें[१]

१३ सितम्बर, १९२१

श्री गांधीने कहा :

मिदनापुरमें मेरा जिस तरहका स्वागत किया गया है उसे देखकर मैं यह नहीं मान सकता कि बंगालका शिक्षित वर्ग मुझसे विलग हो गया है या यह कि उसने स्वराज्य प्राप्ति के लिए मेरे आन्दोलनको पसन्द नहीं किया है।

इसके बाद उन्होंने मिदनापुरके निवासियोंको स्वदेशी अपनाने, अपने प्रचारकार्यमें अहिंसात्मक प्रकृति कायम रखने, और हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए प्रयत्न करनेको कहा। यदि ये तीनों बातें लोगोंके मन, वचन और कर्ममें सर्वोपरि रहें तो मेरा

  1. एक स्थानीय कालेजके खेल के मैदानमें।