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भेंट : 'डेली एक्सप्रेस' के प्रतिनिधिको

अगर आपको भी सन्तोष हुआ हो और इस महान कार्यकी ओर सहानुभूति हो तो मेरा साग्रह अनुरोध है कि आप निःसंकोच भावसे भरसक आर्थिक सहायता दें।

आपका,

मोहनदास करमचंद गांधी

मूल प्रति (एस० एन० ८१५६) की फोटो नकलसे।


५१. भेंट : 'डेली एक्सप्रेस' के प्रतिनिधिको

मद्रास
१५ सितम्बर, १९२१

असहयोग आन्दोलनके नेता श्री गांधी मद्रास आये हुए हैं। इस अवसरका लाभ उठाकर गुरुवारकी सुबह 'डेली एक्सप्रेस' के एक प्रतिनिधिने श्री गांधीसे मुलाकात की। उसने उन बहुत से सवालोंपर उनसे बातचीत की जिन्होंने आज जन-मानसको आन्दोलित कर रखा है और जिनसे श्री गांधी प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूपसे सम्बद्ध हैं|

यह पूछने पर कि तिलक स्मारक स्वराज्य कोषके लिए एक करोड़का जो लक्ष्य है, उसमें से कितनी रकम जमा हुई और कहाँ रखी गई है, श्री गांधीने बताया कि बहुत बड़ी रकम जमा हो गई है और वह प्रान्तीय समितियोंके जिम्मे है। जहाँतक मैं समझता हूँ प्रान्तीय समितियोंने इन रुपयोंको विभिन्न बैंकोंमें जमा किया है। सबसे ज्यादा रुपया बम्बईमें जमा है।

[ संवाददाता ]: यह धन किस कामके लिए खर्च किया जायेगा ?

[ गांधीजी :] इस धनका उपयोग मुख्यतः स्वदेशीके लिए किया जा रहा है। तात्पर्य यह है कि उसका उपयोग राष्ट्रीय शिक्षण संस्थाओंमें सूत कातने तथा कपड़ा बुनने के कार्यको बढ़ावा देने, अकालमें सहायता पहुँचाने, नशाखोरी रोकने और अछूत जातिका उद्धार करने के लिए किया जा रहा है। आप ऐसा मान सकते हैं कि कोषका साधारणतः ५० प्रतिशत धन सूत कातने तथा कपड़ा बुननेके कार्य में खर्च किया जायेगा।

आपको मालूम है कि मलाबारमें और अन्य स्थानोंपर हिंसात्मक घटनाएँ हुई हैं। ऐसी हालत में लोग अहिंसापर दृढ़ रहें, इसके लिए आप क्या कदम उठायेंगे ?

इसका तो मैं केवल यही उत्तर दे सकता हूँ कि इस कार्यको मैं व्याख्यानों, निजी तौरपर होनेवाली बातचीतों, चिट्ठी-पत्री, तथा कताईके प्रचारके द्वारा करूंगा। मैं कताईको हिंसाका सबसे कारगर उपचार मानता हूँ। यदि मैं समस्त भारतको सूत कातने के कार्य में लगा सकूं तो इस आन्दोलन में हिंसा पूर्णतः समाप्त हो जायेगी।