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भेंट : 'डेली एक्सप्रेस' के प्रतिनिधिको

यदि अंग्रेज बसराको अपने कब्जे में रखें और मेसोपोटामियाके बाकी हिस्सेको छोड़ दें तो क्या आप सन्तुष्ट हो जायेंगे ?

यह नहीं हो सकता। बिना किसी राजनैतिक हस्तक्षेपके व्यापार जारी रहने दिया जाये।

प्रश्नका ऐसा हल न निकलनेकी हालत में क्या आप मौलाना मुहम्मद अलीकी इस बात से सहमत हैं कि अहमदाबादमें होनेवाली आगामी कांग्रेसको भारतके लिए एक स्वतन्त्र लोकतन्त्रका लक्ष्य घोषित करना चाहिए ?

नहीं, क्योंकि सिर्फ स्वतन्त्रताकी घोषणा से मुझे सन्तोष नहीं होगा। एक स्वतन्त्र लोकतन्त्रकी घोषणासे मुझे सन्तोष नहीं होगा। स्वतन्त्र होनेके लिए ब्रिटिश सरकारसे लड़ने की हममें शक्ति होनी चाहिए, लेकिन अस्त्र-शस्त्रकी लड़ाई नहीं, अहिंसाकी लड़ाई। इसके लिए अभी हम लोग पर्याप्त रूपसे संगठित नहीं हैं। लॉर्ड सैलिस्बरी जब कुछ प्रश्नोंसे चिढ़ जाते थे तब कहते थे : “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अभीतक किसी-न-किसी तरह हम लोग सफलता प्राप्त करते आये हैं, इसलिए माननीय सदस्यको चिन्ता नहीं करनी चाहिए।" इसी तरहसे हम लोगोंने भी कार्य किया है। अहिंसात्मक असहयोग जारी रखने का पूरा श्रेय में स्वयं नहीं लेता। ईश्वरने हमारी सहायता की है।

यदि भारतको उपनिवेशोंके ढंगका स्वराज्य मिल जाये तो पंजाबको लेकर उठे प्रश्नका तो स्वतः निपटारा हो जायेगा न ?

हाँ, हो जायेगा।

तब समस्याके निपटारेके लिए क्या आपकी यह राय है कि भारत सरकारको पूर्णरूपसे भारतीय व्यवस्थापिकाके प्रति उत्तरदायी बना दिया जाये ?

भारतीय व्यवस्थापिकाके प्रति -- हाँ, बेशक।

क्या आप सेनाका भी पूरा नियन्त्रण तुरन्त लेना चाहते हैं, अथवा इस विषय में आपका रुख उससे भिन्न होगा ?

मेरा विश्वास है कि हम लोग सेनाका पूर्ण नियन्त्रण लेनेको बिलकुल तैयार हैं। इसके माने यह होंगे कि हम लोग तीन-चौथाई सेनाको बरखास्त कर देंगे। मैं तो इतनी ही सेना रखना पसन्द करूँगा -- जितनी भारतमें शान्ति-रक्षा के लिए आवश्यक होगी।

यदि सेना इस हदतक घटा दी जायेगी तो क्या आपको सीमावर्ती क्षेत्रोंसे आक्रमण होनेका भय नहीं होगा ?

नहीं।

मुझे सैनिक सूत्रोंसे मालूम हुआ है कि सीमान्त क्षेत्रोंमें इस समय पाँच लाखसे अधिक सशस्त्र लोग मौजूद हैं।

आपकी बात ठीक है। ये कबीले अबतक हिन्दुस्तानपर हमला करते रहे हैं। अबतक क्यों ? आप ऐसा क्यों मान लेते हैं कि भारतमें स्वराज्य होनेपर वे हमला करनेसे बाज आयेंगे?