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भाषण : मद्रासमें

की भावना नहीं पहुँच पाई थी। मैं जानता हूँ कि असहयोगियोंको जानबूझकर उन भागोंमें अधिकारियोंने नहीं जाने दिया। किन्तु मैं आशा करता हूँ कि मेरे हिन्दू देश-भाई अपना मानसिक सन्तुलन नहीं खोयेंगे। यद्यपि मैं यह माननेको तैयार नहीं हूँ, लेकिन अगर यह मान भी लिया जाये कि सरकारी सूत्रोंसे जबरिया धर्म-परिवर्तनकी जो कहानियाँ हमारे कानोंतक पहुँची हैं वे सब सही हैं, तो भी इस श्रोता-समुदाय में जो हिन्दू मौजूद हैं, मैं उनसे यह विश्वास करनेका अनुरोध करूँगा कि इस बात से ही हिन्दू-मुस्लिम एकता के सिद्धान्तके प्रति हमारी आस्था भंग नहीं हो जानी चाहिए। हमें यह अपेक्षा नहीं करनी चाहिए कि सभी हिन्दू और सभी मुसलमान एकाएक इस सिद्धान्तके कट्टर अनुयायी हो जायेंगे। मेरे जाननेमें एक भी ऐसा समझदार मुसलमान नहीं है जो छिपे तौरपर या खुले आम जबरिया धर्म-परिवर्तनकी इन घटनाओंको ठीक बताता हो; और हमें अपने इन भाइयोंके भविष्य के प्रति भी कोई चिन्ता करनेकी जरूरत नहीं है।

शास्त्रोंका जो अध्ययन मैंने किया है, उससे मेरी पक्की धारणा बनी है कि जिस व्यक्तिको बल-प्रयोग द्वारा कोई काम करने के लिए विवश किया गया हो,उसे प्रायश्चित्त करने की जरूरत नहीं है। हमारे मित्र श्री याकूब हसनने तमिल जनताको बताया है कि ये लोग जिनका जबरन धर्म परिवर्तन किया गया है, इस्लाम-धर्म में प्रविष्ट नहीं किये जा सकते। एक सच्चे हिन्दूके नाते, एक ऐसे हिन्दूके नाते जो कोई बात कहते समय अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह जानता है, मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि उनमें से एक भी हिन्दू ऐसा नहीं है, जिसने हिन्दू-समाजमें रहनेका अधिकार खो दिया हो। मुझे पता है कि विपत्ति-ग्रस्त हिन्दू घरोंको सहायता पहुँचानेवाले कांग्रेस और खिलाफतके कार्यकर्त्ताओंके रास्तेमें सरकार हर प्रकारकी बाधा खड़ी कर रही है, और इसके साथ ही मुझे बताया गया है कि सरकार स्वयं इन लोगोंके लिए जो भूख-पीड़ित हैं, कुछ नहीं कर रही है। सरकार हमें अनुमति दे या न दे, मुझे इसमें सन्देह नहीं कि हमारा स्पष्ट कर्त्तव्य है कि जितना पैसा हम इकट्ठा कर सकें उतना पैसा इन कष्ट-पीड़ितोंके लिए इकट्ठा करें, और ऐसी व्यवस्था करें कि उन्हें जिन चीजोंकी जरूरत है, वे उन्हें मिलें। कांग्रेस कमेटीने इन कष्ट-पीड़ितों की मदद के लिए अमुक धनराशि इस निमित्त देना निश्चित किया है और मैं जानता हूँ कि खिलाफत समिति भी एक अमुक राशि देनेकी कोशिश कर रही है। किन्तु मैं मद्रास अहाते के मुसलमान देशभाइयोंसे कहूँगा कि यदि वे अपने हिन्दु-भाइयोंकी सहायता के लिए प्रत्येक घरसे पाई-पाई भी इकट्ठा करें तो यह एक बहुत ही उदारताका काम होगा।

मैं जानता हूँ कि आज यह अहाता भारत-भरमें शायद सबसे ज्यादा संकटग्रस्त अहाता है। हम अभीतक पूरी तरह नहीं जानते कि इस क्षेत्रमें जनताकी प्रबल और उठती हुई भावनाओंको दबाने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है। आज सुबह मुझे दी गई इस सूचनापर अविश्वास करनेका मेरे पास कोई कारण नहीं है कि मलाबारमें ठहरे बहुए बहुत-से नौजवानोंको इस कारण अपमानित किया गया कि वे खद्दरकी टोपी और सदरी पहने थे। मुझे मालूम हुआ है कि भारतमें शान्ति-रक्षाके इन ठेकेदारोंने खद्दरकी शुद्ध सदरियोंको फाड़-फूड डाला और उन्हें जलाकर राख