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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कर दिया। मुझे यह भी मालूम हुआ है कि मलाबारके सरकारी अधिकारी पंजाब के अधिकारियोंसे आगे भले न बढ़ पाये हों, लेकिन अपमानित करनेके नये-नये तरीके उन्होंने जरूर ईजाद किये हैं। आन्ध्र प्रदेशमें नये सुधारके अनुसार बने मन्त्रिमण्डलके सदस्य भी जनतापर लाल-पीले हो रहे हैं।

उन्होंने जनताकी अनिच्छाके बावजूद उसके ऊपर एक नगरपालिका थोप दी है। आन्ध्र देशके एक दूसरे भागमें व्यापक विरोधके बावजूद उन्होंने जबरन चराई कर वसूलने की कोशिश की है। और मेरी जानकारीके अनुसार इन मन्त्रियोंके एक फतवे के अधीन निर्दोष गायोंको उनके बछड़ोंसे अलग करके कांजीहाउसोंमें डाल दिया गया है, जहाँ उन्हें खाने-पीने के लिए घास और पानी भी नहीं मिलता। तो इन दमनकारी कार्यवाहियोंके मुकाबले जिनमें सिर्फ अंग्रेज प्रशासकोंका ही नहीं, बल्कि तथा कथित उत्तरदायी मन्त्रियों का भी हाथ है, क्या हम हिंसासे उत्तर दें ? हम निश्चित तौरपर जानते हैं कि उसका परिणाम क्या होगा। हम जानते हैं कि जिस देशकी जनताने हिंसा न करने की शपथ ली हो, उस देशकी जनता द्वारा हिंसा करनका परिणाम निश्चित विनाश है। यदि आप मौलाना मुहम्मद अलीको जेलसे रिहा कराना चाहते हैं, यदि आप उन निर्दोष गायोंको मुक्त कराना चाहते हैं, यदि आप चाहते हैं कि मलाबारमें हमारे देशभाइयोंको जिस तरह कानून, व्यवस्था और शान्तिके नामपर अपमान मिल रहा है, उससे हम बचें, यदि आप चाहते हैं कि चिरला-पेरलामें हमारे साहसी देशभाइयोंपर जो दबाव डाला जा रहा है, उसका प्रतिरोध करें, तो आपके सामने एक ही रास्ता है, और वह यह कि आप अहिंसाका पूरा-पूरा पालन करें। राष्ट्रीय स्वाभिमानका तकाजा है कि मौलाना मुहम्मद अलीको और इस सरकार द्वारा नाजायज तौरपर बन्द किये अन्य सभी लोगों को भी रिहा करानके लिए एकमात्र तरीका स्वराज्य की स्थापना है, और स्वराज्यमें इस देशकी संसदका सर्वप्रथम कार्य यह हो कि वह समुचित आदर और सम्मानके साथ इन निर्दोष कैदियोंकी रिहाई के लिए कानून पास करे। हमें इस सरकारसे किसी रियायतकी माँग नहीं करनी है, और न उसकी हमें अपेक्षा ही करनी चाहिए। हमें चाहिए कि हम इस सरकारको चुनौती दे दें कि वह हदसे-हद जो करना चाहती है करे, और हालांकि सरकारको अन्तमें दृढ़ संकल्प लोगोंकी इच्छाके सामने झुकना ही होगा, लेकिन हमें समझ रखना चाहिए कि इससे पहले कि वह झुके, वह हमारी चुनौतीको स्वीकार करेगी, और उसका वैसा ही जवाब देगी जिसकी अपेक्षा एक निरंकुश और शक्तिमदमें चूर सरकारसे की जाती है।

लेकिन मैं चाहता हूँ कि आप अपने मनको टटोल कर देखें। इसी वर्ष स्वराज्य-प्राप्तिके लिए हमें क्या करना है? अपने देशभाइयोंके सामने रखनेको मेरे पास अहिंसा, हिन्दू-मुस्लिम एकता और स्वदेशी के सुपरीक्षित कार्यक्रमके सिवा दूसरा कोई कार्यक्रम नहीं है। हमारी अहिंसा और हिन्दू-मुस्लिम एकताके प्रति हमारी लगनकी अभिव्यक्ति स्वदेशी के जरिये होनी चाहिए। इसीलिए इस सभा में इतने कम लोगोंको स्वदेशी वस्त्र पहने देखकर मुझे दुःख होता है। और जब मैं एक ओर बेगम मुहम्मद अली साहिबाको देखता हूँ और दूसरी ओर अपने सामने बैठी बहनोंको देखता हूँ