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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जाता है। मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि यह जानते हुए भी कि हमारे विरोधी क्या कुछ कर रहे हैं, हमारे वे देशभाई जो हमारे खिलाफ खड़े हैं वे क्या कर रहे हैं, आप लोग उनके साथ भी सम्मान और सहिष्णुताका बरताव करें। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि विनम्रता और प्रेमसे हमारे बहुत-से ऐसे शत्रु हमारे मित्र बन जायेंगे, जो आजतक हमारे खिलाफ लड़ते रहे हैं। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, हमारे सामने अपने विरोधियों के लेखों भाषणों और कार्योंसे उत्तेजित हो उठने के बहुत से मौके आयेंगे। वैसी हालत में मैं आपसे अनुरोध करूँगा कि उनकी इस बुराईके उत्तरमें -- अगर हम उसे बुराई मानते हों तो --आप भी वैसी ही बुराईका आचरण न करें। वे तो मेरी और आपकी तरह अहिंसा के किसी सिद्धान्तसे बँधे हुए नहीं हैं, और इसलिए उनके किसी कामपर हमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए। हमें अपने आचार-व्यवहारकी ही चिन्ता करनी चाहिए । फिर तो हम भविष्य के बारेमें भी पूरी तरह आश्वस्त हो सकते हैं। आपने जिस ध्यानसे मेरी बातें सुनी हैं, उसके लिए आपको हृदय से धन्यवाद देता हूँ।

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, १६-९-१९२१


५४. भाषण : स्त्रियोंकी सभा, मद्रासमें

१६ सितम्बर, १९२१

गत शुक्रवारको तीसरे पहर पौने पाँच बजे सौन्दर्य महलमें सार्वजनिक मित्र- मण्डलके तत्वावधानमें बुलाई गई एक सार्वजनिक सभामें, जो केवल स्त्रियोंके लिए थी, महात्मा गांधीने भाषण दिया।. . .

. . .महात्माजी गुजराती में बोले। उन्होंने स्वदेशी वस्त्र धारण करनेकी वांछनीयता और जरूरत बताते हुए इस बातपर दुःख प्रकट किया कि सभी उपस्थित स्त्रियाँ विदेशी कपड़े पहने हुए हैं। उन्होंने कहा, यदि आप लोगोंको जापान या इंग्लैंडमें पकाई गई रोटियाँ दी जायें तो वे चाहे कितनी ही स्वादिष्ट क्यों न हों, आप कदापि नहीं खायेंगी। इसी तरह आपको विदेशी कपड़े और तड़क-भड़कवाली चीजें कतई इस्तेमाल न करना अपना धर्म मान लेना चाहिए, क्योंकि ये हमारे राष्ट्रीय पतनके साधन-स्वरूप हैं। आप लोग अपने विदेशी कपड़े जला डालिए और अपने हाथके कते तसे हाथ करघोंपर बुने स्वदेशी कपड़े ही पहननेका दृढ़ संकल्प कीजिए। इतना कह चुकनेके बाद गांधीजीने चरखेकी उपयोगिता समझाई और कहा कि यह विधवाओंके जीवनका सहारा है, किसी भी असहाय नारीका साथी है और अब तो प्रत्येक आत्मसम्मानिनी भारतीय महिलाको चाहिए कि वह चरखेको अपना प्रिय मित्र समझे। चरखा एक ऐसा यन्त्र है जिसे चलानेके लिए ज्यादा ताकत या विशेष हुनरकी जरूरत नहीं होती। एक गरीब कमजोर बालक भी इसे चला सकता है।