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भाषण : कपड़ा व्यापारियोंकी सभा, मद्रासमें

श्रीमती मुहम्मद अलीका परिचय कराते हुए गांधीजीने कहा कि स्त्रियोंको बेगम साहिबाके उदाहरणका अनुकरण करना चाहिए। इनके पतिको हाल ही में सरकारने गिरफ्तार कर लिया है परन्तु इन्होंने जरा भी भय या बेचैनी नहीं दिखाई। बेगम साहिबा खद्दर पहने हुए हैं। परन्तु खद्दरका जितना बोझ इनके शरीरपर है उतना आप लोगों में से किसीको नहीं धारण करना होगा। स्त्रियोंको सुन्दर चीजें बहुत अच्छी लगती हैं परन्तु उन्हें हमेशा यह याद रखना चाहिए कि सुन्दरता बाहरकी चीज नहीं हुआ करती। कोई स्त्री यदि नेक और कर्त्तव्यपरायण है तो वह सुन्दर है अन्यथा असुन्दर है। यदि आपमें जरा भी आत्म-सम्मानकी भावना है और यदि आप अपने बच्चोंका और राष्ट्रका सम्मान बनाये रखना चाहती हैं, तो आपको तड़क-भड़कके प्रति अपनी रुचि अवश्य त्यागनी होगी, और सादा और संयत जीवन बिताना होगा। सीताजीको जब अशोक वाटिकामें बन्दीके रूपमें रखा गया था तब रावणने उनके सामने हर तरह की सुन्दर वस्तुएँ प्रस्तुत की थीं। परन्तु उन्होंने तिरस्कारपूर्वक किसी भी चीजको स्वीकार करनेसे इनकार कर दिया था और फल खाकर तथा वल्कल-वसन पहनकर रहना अधिक पसन्द किया। तो जबतक भारत गुलामोकी जंजीरोंमें जकड़ा हुआ है और जबतक धर्मराज्यकी स्थापना नहीं होती, तबतक भारतके प्रत्येक स्त्री-पुरुषको ऐसे विदेशी वस्त्रोंको घृणापूर्ण नजरसे देखना चाहिए मानो वे वास्तव में एक अस्पृश्य वस्तु हैं।

अपने भाषणका अन्त करते हुए उन्होंने उत्तर भारतीय महिलाओंसे कहा कि वे अपनी मद्रासी बहनोंके साथ स्वच्छन्दतापूर्वक हेलमेल पैदा करें और अपने बच्चोंका पालन-पोषण ठीक तरहसे करें। वे अपने बच्चोंमें वीरता और साहसके भाव भरें।

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, १९-९-१९२१

५५. भाषण : कपड़ा व्यापारियोंकी सभा, मद्रासमें

१६ सितम्बर, १९२१

कल शामको मद्रासके कपड़ा व्यापारी संघकी एक महत्वपूर्ण आम सभा, संघके भवनमें, महात्मा गांधीके साथ विदेशी कपड़े के बहिष्कारके सम्बन्धमें बातचीत करनेके लिए हुई। सभामें संघके सदस्य काफी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। मौलाना आजाद सोवानी, सर्वश्री याकूब हसन, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी और टी० एस० एस० राजन् भी सभा में उपस्थित थे। भाषण अंग्रेजीमें हुए और श्री राजगोपालाचारीने तमिल में उनका अनुवाद कर सुनाया।

संघकी ओरसे श्री रामजी कल्याणजीने महात्माजीका स्वागत किया। गांधीजीने जवाब में कहा :-