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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

आप लोगोंने, जो बहुत बड़ी संख्यामें हैं, वैसा नहीं किया है। और मुझे यह भी बताया गया है कि आपमें से कुछ लोगोंने उन भाइयोंपर जो कामपर वापस लौट आये हैं, जोर दबाव डाला है। मुझे यह भी ज्ञात हुआ है कि इन दोनों दलोंमें बराबर टंटे-बखेड़े बने ही रहते हैं। इसलिए मैं यहाँ बहुसंख्यकोंको अल्पसंख्यकोंपर थोड़ा-सा भी दबाव न डालनेकी चेतावनी देने आया हूँ। मैं मजदूरोंको २५ वर्षोंसे, बल्कि करीब-करीब ३० वर्षोंसे -- जानता आया हूँ। मैंने बड़ी-बड़ी हड़तालें कराई हैं। जिनका असर एक वक्त में ५०,००० से भी ज्यादा लोगोंके ऊपर पड़ा है। अतः मैं जानता हूँ कि मजदूरोंका नैतिक ह्रास और किसी बातसे इतना नहीं होता जितना एक भी मजदूर के प्रति बलप्रयोग करने से। हममें से सबसे छोटे को भी, सबसे-कम संख्यावालोंको भी अपनी स्वतन्त्र इच्छा के अनुसार चलनेका हक जरूर होना चाहिए, भले ही आपको ऐसा लगे कि उसने गलती की है। इसलिए मैं आपसे आग्रहपूर्वक कहूँगा कि अपने उन ३,००० भाइयोंको कतई मत छेड़िए। मैं आपसे आग्रह करूँगा कि उनको नीच न समझें। मैं यह भी आग्रह करूँगा कि आप उनके प्रति सहृदयता बरतें। निश्चय ही आप उनको कभी गालियाँ या बद दुआ न देंगे। मैं आपसे कहूँगा कि उन्हें नौकरीसे अलग हो जानेको राजी करनेके लिए भी आप उनके पास न जायें। मेरी बातका विश्वास कीजिए कि जब वे देखेंगे कि आप उनपर कोई दबाव नहीं डालते, आप उनके प्रति जरा भी दुर्भाव नहीं रखते तो वे अपनी खुदकी मर्जीसे आपके समीप आ जायेंगे। आपको यह खयाल भी अपने मनमें नहीं लाना चाहिए कि वे नीची जातिके हैं और आप ऊँची जातिवाले हैं।

मैं उन सभी लोगोंको जो हिन्दू हैं, चेतावनी देता हूँ कि हिन्दू-धर्ममें ऊँची जाति और नीची जाति है, ऐसा सोचनेसे बाज आयें। हिन्दू-धर्ममें निःसन्देह जाति प्रथा है किन्तु जाति हमें कर्त्तव्य भावना प्रदान करने के लिए बनाई गई है, विशेष सुविधाओं और अधिकारोंके लिए नहीं बनाई गई। प्रत्येक जातिका प्रादुर्भाव मानव-जातिकी सेवाके लिए हुआ है। ब्राह्मण अपने ज्ञानसे सेवा करता है, क्षत्रिय रक्षा कर सकनेकी अपनी शक्तिसे, वैश्य अपने वाणिज्यसे, और शूद्र अपने हाथ-परसे। मेरी यह बात सच मानिए कि ईश्वरकी निगाह में ये सब बराबर हैं और जो सबसे अच्छी तरह मानवताकी सेवा करता है वही सबसे ज्यादा महान् हैं। पंचम जाति-जैसी कोई चीज हिन्दू-धर्म में है ही नहीं। छुआछूतकी भावना ईश्वर और मानवता दोनोंके प्रति अपराध है। यह हिन्दू धर्मका कलंक है। मेरे साथी मजदूरो, मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि अपने दिलसे यह भावना निकाल दें कि पंचम भाई अछूत या किसी औरसे नीचे हैं। यदि हम उनके साथ घृणाका व्यवहार न करते, यदि हम उनके साथ बुरा बर्ताव न करते -- जैसा कि हमारा कहना है कि जलियांवाला बागमें हमारे साथ बुरा बर्ताव किया गया -- तो स्वराज्य प्राप्त करनेमें कोई कठिनाई न होती। विश्वास कीजिए, जबतक हिन्दू लोग महाप्रयास करके अस्पृश्यताके अभिशापसे मुक्त नहीं हो जाते तबतक यह दुःखी देश कभी भी सुखी नहीं हो सकेगा। इसलिए हर दृष्टिसे समूचे प्रश्नपर विचार करते हुए मैं आपको दृढ़तापूर्वक यह सलाह देता हूँ कि पंचम भाइयोंके किसी भी काममें आप दस्तन्दाजी न करें।