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६०. गुजरातको क्या करना चाहिए ?

हम इस बात पर विचार कर चुके हैं[१] कि स्थूल दृष्टिसे हम कांग्रेसके आगामी अधिवेशनको कैसे सफल बना सकते हैं। अब हम इस सम्बन्ध में सूक्ष्म दृष्टिसे विचार करते हैं।

कोई प्रान्त कांग्रेसको अपना अधिवेशन उसके क्षेत्र में करनेका निमंत्रण दे, इसका अर्थ यह है कि उस प्रान्तको निमन्त्रण देनेका अधिकार है और उसमें उस अधिकारके अनुरूप योग्यता है। ऐसा अधिकार तो हर प्रान्तको होता है, किन्तु योग्यता हो भी सकती है और नहीं भी हो सकती।

कांग्रेस के अधिवेशनको निमन्त्रण देने से हमारा दायित्व बढ़ गया है, इस तरह हमने उसके प्रस्तावों पर अधिकसे-अधिक अमल करने की प्रतिज्ञा की है और उस अमलमें अपनी समस्त शक्ति लगा देनेका निश्चय प्रकट किया है।

कांग्रेस के प्रस्तावके अनुसार हमें इस वर्ष में खिलाफत के सवालका फैसला कराना है। और इसी वर्ष पंजाब के मामलेमें न्याय भी कराना है। इस कार्यको हम कैसे कर सकते हैं इसके साधन हमें कांग्रेसने बताये हैं। इनको हम कैसे अमलमें लायें यह कांग्रेसकी महासमितिने इस प्रकार बताया है :

१. शान्तिकी रक्षा करके।

२. हिन्दू-मुस्लिम ऐक्यको मजबूत करके।

३. विदेशी कपड़ेका सर्वथा बहिष्कार करके और हर गाँव और शहरमें अपनी जरूरतकी खादी तैयार करने के लिए चरखा और करघा दाखिल करके।

श्री विट्ठलभाई पटेल सूरत जिलेमें दौरा करके कांग्रेसकी कार्यसमितिकी बैठक में भाग लेनेके लिए कलकत्ता गये थे। वहाँ उन्होंने कहा कि गुजरात और उसमें भी सूरत जिला खास तौरसे स्वराज्य लेनेके लिए तैयार हो गये हैं -- स्त्री और पुरुष दोनों।

मैंने पूछा, क्या कुछ स्त्री और पुरुष जेल जाने और शेष शान्तिकी रक्षा करनेके लिए भी तैयार हो गये हैं ? श्री विठ्ठलभाईने उत्तर दिया, "सूरत जिलेमें तो हजारों स्त्रियाँ और हजारों पुरुष जेल जायेंगे और इसके बावजूद शेष लोग वहाँ शान्ति कायम रखेंगे।"

इस उत्तरको सुनकर मुझे जितना आनन्द हुआ उतना ही आश्चर्य भी हुआ। मैं ऐसा उत्तर सुनने के लिए तैयार न था। गौरवशाली गुजरातकी हजारों स्त्रियाँ जेलमें जानेके लिए तैयार हैं, यह बात मानने योग्य नहीं लगती। किन्तु ईश्वर जो चाहे कर सकता है। वह तो ऐसी बातें करता ही रहता है जो मानने योग्य नहीं मालूम होतीं। उसकी पृथ्वी की धुरी कभी घिसती ही नहीं। उसका सूर्य कभी उदित होना नहीं

  1. देखिए “अधिवेशनकी तैयारी", ४-९-१९२१।