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६१. टिप्पणियाँ

जूते कहाँ उतारेंगे ?

लोगों को ऐसी उम्मीद या आशंका है कि अहमदाबादमें कांग्रेसके अधिवेशन के समय एक भी कुर्सी नहीं दिखेगी। इसलिए एक मित्रने पूछा, “किन्तु इतने सारे लोग अपने जूते कहाँ उतारेंगे ?" मैंने उत्तर दिया, "सब अपने-अपने जूते उतारकर बगलमें दबाकर ले जा सकेंगे और इसके लिए हम जूते रखने की खादीकी थैलियाँ बेचेंगे। सब अपनी-अपनी थैलियाँ साथमें लायें तो भी कोई आपत्ति नहीं। यदि जूते इन थैलियोंमें रख लिये जायें तो तनिक भी कठिनाई न होगी। दूसरा तरीका यूरोपका है और वह यह है कि सब अपने-अपने जूते एक जूता संभालनेवालेको दे दें और उससे नम्बर ले लें। लोग उस नम्बरको देकर उससे कभी भी अपने-अपने जूते वापस ले सकते हैं। इनमें अच्छा तरीका तो थैलीका ही है, इस सम्बन्धमें मेरे मनमें कोई शंका नहीं। हर छोटी-छोटी बात के बारेमें पहलेसे व्यवस्था करनेमें ही हमारी कुशलताकी परीक्षा है।

भोजनको व्यवस्था

भोजन के सम्बन्ध में विचार करनेपर मुझे ऐसा लगा है कि हम भाषा क्षेत्रोंके अनुसार भोजनालय रखेंगे और प्रान्तोंके मन्त्रियोंको कहेंगे कि वे अपने-अपने भोजनालयोंके लिए रसोइये स्वयं लावें। हमारी जिम्मेदारी सामान जुटाने, पानी पहुँचाने और पकाने-खाने के बर्तन देनेकी होगी। मैंने यहाँ जिन लोगोंसे बातचीत की है उन्हें यह विचार पसन्द आया है। ऐसी व्यवस्था करनेसे भोजनके सम्बन्धमें शिकायतका कारण नहीं रह जाता। प्रायः एक प्रान्तके लोगोंको दूसरे प्रान्तका भोजन ठीक नहीं पचता। मांसाहारी लोगों के लिए संभवत: खिलाफत समितिके शिविर में व्यवस्था की जायेगी। जो लोग यूरोपीय ढंगसे रहते-खाते हैं उनकी व्यवस्था हम शिविरमें नहीं करेंगे; इसके बजाय हम होटलोंके मालिकोंसे बातचीत कर लेंगे और उनके भाव और नाम आदि ऐसे लोगोंके प्रान्तोंको लिख भेजेंगे। वे उनसे अपना सीधा बन्दोवस्त कर लेंगे। यदि हम इस तरहकी व्यवस्था करेंगे तो बहुत-सी खटपटसे बच जायेंगे और सब लोगोंको पूरा आराम भी मिलेगा। ऐसा करनेके लिए हमें आजसे ही प्रान्तोंसे पत्र-व्यवहार आरम्भ करके बन्दोबस्त कर लेना चाहिए। हमें हर प्रान्तको वही सलाह देनी चाहिए जो हमें उसके लिए ठीक लगे और उसके सम्बन्धमें उसकी राय जानकर पीछे व्यवस्था पक्की कर देनी चाहिए।

कितने लोगोंका इन्तजाम ?

प्रेक्षक और प्रतिनिधि मिलकर १० हजार लोग होंगे, ऐसा हम मानते हैं। किन्तु हमें यह समझकर चलना चाहिए कि इसे एक किस्मका मेला या तमाशा मानकर जो लोग उसे मात्र कुतूहलकी दृष्टिसे देखने आयेंगे उन्हें मिलाकर अहमदाबादमें उस