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भाषण : त्रिचनापल्लीमें

मैं इस सभाको और इस सभा द्वारा भारत सरकारको बता दूं कि मैंने अनेक बार ब्रिटिश-सेनामें काम करनेवाले सिपाहियोंकी वफादारीमें खलल पहुँचाया है और यह कोई नया अपराध भी नहीं है। यह अपराध पिछले साल सितम्बर में मैंने जानबूझकर किया था, और यही अपराध कलकत्तामें[१] भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसने सितम्बर में किया था और नागपुरमें[२] इसे जानबूझकर दोहराया गया था। यदि कांग्रेस या मैं सिपाहियोंके पास या सरकारी विभागों के कर्मचारियों के पास निजी तौरपर नहीं गये, तो इसका कारण इच्छाकी कमी नहीं वरन् सामर्थ्य की कमी थी। हमारे अभागे देशमें जहाँ गरीबी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है, जिसमें हमारे देश के लाखों पुरुष-स्त्री भुखमरीमें संघर्ष करते हैं, हम अभीतक सिपाहियोंसे व्यक्तिगत रूपसे मिल नहीं सके हैं और उनसे कह नहीं पाये हैं कि अपने देशके लिए अपनी नौकरी छोड़ दें और अपना कर्त्तव्य करें। मैं सरकारको जो चेतावनी देना चाहता हूँ वह यह है कि जैसे देशने चरखेका और स्वराज्यका सिद्धान्त ग्रहण कर लिया और आत्मसात् कर लिया वैसे ही यदि सिपाही तथा अन्य लोग चरखा और हाथ करघा चलानेको तैयार हो जाते हैं, तो मैं वायदा करता हूँ कि यदि मुझमें तब भी शक्ति बाकी रही और वह व्यक्तिगत स्वातन्त्र्य, जो इस सरकारने मुझे अनुग्रहपूर्वक प्रदान किया है, बना रहा तो मैं प्रत्येक सिपाहीके पास और सरकार के असैनिक विभागों में काम करनेवाले हर व्यक्ति के पास इसलिए जाऊँगा कि वह अपनी नौकरी छोड़ दे और चरखे को अपनाये; परन्तु अभी इस समय भी मैं हरएक सिपाहीका और सरकारी नौकरीमें लगे हर व्यक्तिका जो अपनेको भारतीय कहता है, आवाहन करता हूँ कि यदि उसने स्वदेशीका सन्देश समझ लिया है तो उसका परम कर्त्तव्य है कि वह इस सरकारकी नौकरी छोड़ दे, जिसने कि इस देशको दुर्बल बना दिया है, जिसने इस्लामपर बन्धन लगा दिये हैं और जो जलियाँवाला बागकी दुर्घटनाके लिए स्वयं जिम्मेदार है। मैं कहता हूँ कि इस सरकारकी सेवा करना किसीके भी लिए पाप है और यदि उन्हें स्वदेशीमें आशा है, तो इस सरकारकी नौकरी छोड़कर वे अच्छा ही करेंगे।

बम्बई सरकारने दूसरा कारण यह बताया है कि अलीभाइयोंने हिंसा भड़कानेवाले भाषण दिये हैं। मैं इन भाइयोंको जानता हूँ। उन्होंने जितने भाषण दिये हैं। लगभग उन सबसे मैं परिचित हूँ और मैं इस मंचसे उस [ सरकारी ] आरोपका पूरी तरह खण्डन करता हूँ। इन भाइयोंने हमेशा, जहाँतक मुझे मालूम है, अकेलेमें और सार्वजनिक रूपसे लोगोंको किसी भी प्रकारकी हिंसात्मक प्रवृत्ति अपनानेसे रोका है। परन्तु मैं आपको वह कारण बताऊँगा कि सरकारने दोनों भाइयोंको क्यों कैद किया है। वे बहादुर हैं, वे सच्चे हैं और वे अपने धर्म तथा अपने देशके प्रेमी हैं और भारतीयों के दिलोंमें उनका इतना प्रभाव पैदा हो चुका है कि जितना अपने जीवनकालमें किसी भी भारतीयका नहीं हो पाया है। उनका नाम एक ऐसा नाम है जो मुसलमानोंके हृदयोंमें सम्मोहनभाव जगाता है और उन्होंने लाखों हिन्दुओं और मुसलमानों के

  1. देखिये खण्ड १८।
  2. देखिए खण्ड १९, परिशिष्ट १।