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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दिलोंमें घर बना लिया है। हिन्दू-मुस्लिम एकताके जितने बड़े हामी ये हैं उतना बड़ा अन्य कोई मुसलमान नहीं है। इस सरकार में बहादुर लोगोंके लिए, निडर लोगों और ऐसे लोगोंके लिए जो सच्चे हैं, अपने देश और धर्म के प्रेमी हैं, और जिनका जन-समूह पर असर है, कोई स्थान नहीं है। परन्तु जहाँ मैं इस सरकार की भावनाका विश्लेषण करना अपना फर्ज समझता हूँ और जहाँ मैं आपका ध्यान इस सरकारके कुकृत्योंकी ओर दिलाना जरूरी समझता हूँ, वहाँ मैं आपको उत्तेजित न होनेकी और हिंसापर उतारू न होनेकी चेतावनी भी जरूर दूंगा। देशके सामने उत्तेजित होनेके इतने उग्र कारण प्रस्तुत किये गये, फिर भी देशने जो ऐसी शान्ति बरकरार रखी जिसे मैं देवी शान्ति कहता हूँ, उसके लिए मैं देशभर के भाइयोंको बधाई देता हूँ| मैं आशा करता हूँ कि भारतमें जो शान्ति आज छाई हुई है वह ब्रिटिश-तलवारके भयके कारण नहीं, वरन् अपनी बढ़ती हुई शक्तिके भानसे और सितम्बरमें ली गई व दिसम्बर में दोहराई गई अपनी ही शपथके ज्ञानके फलस्वरूप है। मौजूदा भड़कानेवाली बातोंके बावजूद और आगे भी जो भड़कानेवाली बातें हों उन सबके बावजूद यदि हम अपने वचनोंका पालन करें और अन्ततक यह शान्ति बनाये रखें, तो मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यही सरकार खिलाफतके प्रति किये गये अन्याय, पंजाब के प्रति अपने अत्याचार और अलीभाइयोंके साथ किये गये अन्यायके लिए भारतसे क्षमा माँगेगी। हमें समझ लेना चाहिए कि इस सरकारका ध्येय क्या है। इस सरकारने इतने लम्बे अरसे तक आतंककी प्रणालीका अन्तिम भरोसा करके अपनेको कायम रखा है। पिछले १२ महीनोंसे हम बराबर सरकारको चुनौती देते आये हैं कि जितना अत्याचार उससे सम्भव हो वह करे। यदि हम जानबूझकर आग में कूदें तो आगने हमें जलाया, इसकी शिकायत हरगिज न करें। हम पहले के तजुर्बेसे जान चुके हैं कि कुछ खास परिस्थितियों में सरकार किस हदतक जा सकती है। हमने सरकारके रोषको भड़का दिया है और अब हमें कायरोंकी तरह उससे भागना नहीं चाहिए और यदि आज हम जिस कठिन स्थितिमें गुजर रहे हैं, उसे झेल लेते हैं तो मैं वायदा करता हूँ कि तीन महीने के भीतर ही आप भारतमें स्वराज्यकी स्थापना कर लेंगे और आप अपने देशको एक स्वतन्त्र देश कहने लगेंगे। अहिंसा कमजोरका ही नहीं, बलवानोंका भी अस्त्र है, जैसे कि अलीभाइयोंका था। जब सरकारकी समझमें यह आजायेगा कि भड़कानेवाली बड़ी से बड़ी स्थिति में भी हम अपना सन्तुलन नहीं खो बैठेंगे बल्कि यह दिखायेंगे कि हमने भविष्य में समझदारीसे काम करनेका निश्चय कर लिया है तो आप देखेंगे कि हमें हमारे उचित स्थान से हटाने में सरकार सर्वथा असमर्थ हो जायेगी। यदि हिन्दुओं और मुसलमानोंने अलीभाइयोंकी काम करनेकी भावनाको समझ लिया है और यदि उन्होंने असहयोगके सन्देशकी भावना हृदयंगम कर ली है और यदि वे अपने धर्म और अपने देश के प्रमी हैं, तो मैं हिन्दुओं और मुसलमानों -- दोनोंसे कहता हूँ कि आप झुंझलायें नहीं वरन् शान्त रहें और धर्म तथा देशके सम्मानकी रक्षा करनेके अपने निश्चयमें दृढ़ रहें।

भारत के प्रत्येक स्त्री-पुरुषको केवल एक ही काम करना है और वह यह कि हम उन सभी विदेशी वस्त्रों तथा विदेशी भड़कीली वस्तुओंका, जो अबतक हमारी दासताके