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भाषण : मानपत्रके उत्तरमें

आपने मुझे दो बुराइयोंके ही बीच चुनाव करने को कहा है। मैं दुराग्रही और समझाने-बुझानेसे मान जानेवालेको, रुकनेको तैयार रहनेवाले और दोनों ओर रुख किये रहनेवालेकी अपेक्षा अधिक पसन्द करता हूँ, लेकिन मैं समझता हूँ, स्वयं में इनमें से किसी वर्गका नहीं हूँ। हाँ, मैं यह स्वीकार करता हूँ कि आपने जिन एकाकी चरित्रोंका उल्लेख किया है, वैसे बहुत-से लोग मेरे साथ हैं। आप अन्तमें देखेंगे कि मैं "लाइट वेट चैम्पियन" हूँ। अपना सारा बोझ मैंने यात्रा के प्रारम्भमें ही उतारकर रख दिया था।

५ : अब तो आपने चन्देसे काफी पैसा इकट्ठा कर लिया है। इसलिए जिस सम्राज्ञीके भारत-प्रेमने आपके जीवन के उषःकालमें निश्चय ही आपको बहुत ही रुचिर भावनाओंसे अनुप्राणित किया होगा, उसके प्रति सम्मान प्रकट करनेके खयालसे अगर आप रानी विक्टोरिया के स्मारकके लिए कुछ पैसा दे दें तो क्या आपको नहीं लगता कि आपके देशवासी यह बात बहुत पसन्द करेंगे ?

मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि आपके मनमें जिस स्मारककी बात है, स्वर्गीया महारानीके लिए मैं उससे कहीं अच्छा स्मारक तैयार करने में लगा हुआ हूँ।

६ : वर्तमान परिस्थितियोंको देखते हुए, आप दक्षिण आफ्रिकी समस्याका क्या समाधान सोचते हैं ?

मेरा समाधान तो यह है कि भारत जो चाहता है, वह उसे दे दिया जाये। बुनियादी दोषको दूर कीजिए, छोटे-छोटे दोष तो अपने-आप दूर हो जायेंगे।

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, २२-९-१९२१


७०. भाषण : मानपत्रके उत्तरमें[१]

२१ सितम्बर, १९२१

डिंडीगल नगरपालिकाके अध्यक्ष महोदय तथा सदस्यगण,

आपने जो मानपत्र भेंट किया है और उसमें जो उद्गार व्यक्त किये गये हैं, उनके लिए मैं आपको हृदयसे धन्यवाद देता हूँ। मैं तो सिर्फ यही आशा कर सकता हूँ कि यह मानपत्र आपकी इस इच्छाकी अभिव्यक्ति है कि आज समस्त भारतमें त्याग-बलिदानकी जो भावना फैलती जा रही है, उसमें आप पूरा योग देना चाहते हैं। जैसा कि मैंने अन्य स्थानोंमें कहा है, आपसे भी तीन बातोंकी ओर ध्यान देनेको कहूँगा। इन्हें आप बहुत लाभदायक ढंगसे, भारतके राजनीतिक दर्जेको कोई नुकसान पहुँचाये बिना, कर सकते हैं। ये तीन बातें हैं -- मद्यनिषेध, स्वदेशी और अस्पृश्यता निवारण। डिंडीगलके नागरिकोंके और पंचम भाइयोंके प्रतिनिधि होनेके नाते आप उनके भी स्वास्थ्य और हितोंके संरक्षक हैं।. . . इसलिए आपको अस्पृश्यताके अभिशापसे छुटकारा

  1. यह मानपत्र डिंडीगलकी नगरपालिकाने दिया था।