पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 21.pdf/२०९

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टिप्पणियाँ

लिया गया है। साधारण पाठकोंकी नजरमें तो इस लेखमें सिर्फ अहिंसाका पालन करने का ही अनुरोध किया गया है। अलीबन्धुओंके वक्तव्यपर वाइसराय महोदयने जो घोषणा की थी, उससे सभी लोग ऐसा मानने लगे थे कि सरकार-विरोधी लेखोंमें जबतक हिंसा भड़कानेवाली कोई बात नहीं कही गई हो तबतक उनके कारण मुकदमे नहीं चलाये जायेंगे। लेकिन मुकदमा चलाया गया, यह उतनी बड़ी बात नहीं है। हम कह सकते हैं कि यह सरकारकी नीतिमें एक परिवर्तनका द्योतक है। आखिरकार वाइसरायकी घोषणा उन्हें कुछ अनन्त कालतक तो बाँधकर रखनेवाली चीज नहीं थी। पर जो चीज विद्वेषपूर्ण है वह है उक्त पत्रके निर्दोष मुद्रक, प्रकाशक, मालिक और तीनों निर्दोष सम्पादकोंपर मुकदमा चलाना। सरकार लेखके असली लेखकका पता लगाकर उसे सजा दे सकती थी। अगर सरकारको असली लेखकका पता नहीं था तो वह घोषित सम्पादकसे उसका नाम बतानेको कह सकती थी। लेकिन वह तो राजद्रोह के आरोप में मुकदमा चलानेकी आड़में एक प्रभावशाली देशी अखबारका प्रकाशन बन्द कराना चाहती थी। अगर ये सभी छ: अभियुक्त अपना बचाव करते तो वे शायद रिहा कर दिये जाते। लेकिन सरकारको उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उसका उद्देश्य तो जैसे हो 'देशभक्तन्' को कुचल देना था। इस उद्देश्यमें वह सफल हो गई है और अब वह खुश है। इसे मैं पूर्वधारित विद्वेष कहता हूँ। प्रेस-कानून भले ही समाप्त हो गया हो, उसके पीछे जो भावना थी वह तो बनी हुई ही है।

कांग्रेस अधिवेशन कोई तमाशा नहीं

स्वागत समितिने दर्शकोंके टिकटोंकी संख्या तीन हजारतक सीमित करके जो बुद्धिमानीका काम किया है, उसके खिलाफ कुछ शिकायतें देखनेको मिली हैं। अगर हम कांग्रेस अधिवेशनको एक सालाना तमाशा नहीं, बल्कि हर साल राष्ट्रके लिए अगले बारह महीनोंका कार्यक्रम तय करनेवाली एक काम-काजी समिति मानकर चलना चाहते हैं तो मेरे विचारसे तीन हजार दर्शक भी बहुत ज्यादा हैं। प्रतिनिधियोंकी संख्या कम करने का मतलब ही यह है कि दर्शकोंकी संख्या भी कम करनी पड़ेगी। जब कोई सभा इतनी बड़ी हो जाती है कि उसपर काबू रखना कठिन हो जाय तो उसमें शान्तिपूर्ण ढंग से विचार-विमर्श करना और इसी तरह ठीक ढंगसे लोगोंके मत लेना असम्भव हो जाता है। इसलिए मैं तो यही मानता हूँ कि स्वागत समितिने दर्शक-टिकटोंकी संख्या सीमित करके ठीक ही काम किया।

लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इस वार्षिक आयोजनका प्रदर्शनात्मक स्वरूप खत्म कर दिया जाये। इसलिए स्वागत-समिति लोक रुचिके अनुकूल विषयोंपर व्याख्यानोंका आयोजन कर रही है। वक्ताओंमें सिर्फ प्रमुख कांग्रेसी ही नहीं, अन्य प्रसिद्ध लोग भी हैं। स्वदेशीकी एक प्रदर्शनीका भी आयोजन किया जा रहा है, जिससे काफी कुछ सीखा जा सकता है। दर्शकोंके लिए संकीर्तन भी होंगे। मेरा खयाल है, समिति एक लाख दर्शकोंके लिए इन्तजाम कर रही है। इस अवसरपर अहमदाबाद आनेवाले लोगोंको हर तरहकी सुविधा दी जायेगी, और कार्यक्रमके काम-काजसे सम्बन्धित हिस्से में कोई व्यवधान डाले बिना उन्हें काफी कुछ सिखाने और उनका मनो-