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नकली माल

मनुष्यको कर्मके सिद्धान्तकी आड़ लेकर नारकीय स्थितिमें डाल देना कर्मके उक्त गरिमामय सिद्धान्तका भयंकर दुरुपयोग है। रामने केवटका सम्मान-सत्कार पाकर खुदको सौभाग्यशाली माना था। हिन्दू-धर्म उच्चात्मा और महान् व्यक्तियों द्वारा अपने अभागे भाइयोंको दुःखसे त्राण देनेके उदाहरणोंसे भरा पड़ा है। क्या आजसे हिन्दू अपने महान् पुरखोंका अनुकरण करके हिन्दू-धर्मपरसे अस्पृश्यताके कलंकका वह टीका सदाके लिए मिटा नहीं देंगे, जो इस धर्मको इस तरह विरूपित कर रहा है ?

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, २२-९-१९२१

७४. नकली माल

सम्पादक

यंग इंडिया,

महोदय,

हम 'यंग इंडिया' के १८ अगस्तके अंकमें "नकली माल"[१] शीर्षक से छपी टिप्पणीकी ओर आपका ध्यान आकर्षित करते हैं, और निवेदन करते हैं कि उसमें जो अस्पष्टता है उसे स्पष्ट करनेकी कृपा कीजिए।

आपने अपने पत्रके उपर्युक्त अंकमें मद्राससे आये जिस पत्रको उद्धृत किया है, उसमें यद्यपि केवल बॉम्बे स्वदेशी स्टोर्स द्वारा मद्रासमें बेची जानेवाली १० से १५ आना गजवाली खादीका उल्लेख है, फिर भी उसमें बाम्बे स्वदेशी स्टोर्सका उल्लेख होनेके कारण, हमारे बहुतसे ग्राहक उसके बारेमें पूछताछ कर रहे हैं और उसका जवाब माँग रहे हैं, क्योंकि हमारा स्टोर आम तौरपर "स्वदेशी स्टोर्स' या "बॉम्बे स्वदेशी स्टोर्स" के नामसे प्रसिद्ध है।

हमारे सामने यह बिलकुल स्पष्ट है कि उक्त पत्रका हमसे कोई सम्बन्ध नहीं है, क्योंकि मद्रासमें हमारी न तो कोई शाखा है, न कोई एजेन्सी हो; और न हम लोग ऐसा सामान अपने स्टोरमें रखते हैं। परन्तु हमारे ग्राहकों तथा आम जनताके दिमागसे सन्देह या गलतफहमी दूर करनेके लिए हम इस आशा और विश्वाससे आपको लिख रहे हैं कि आप इसपर तत्काल ध्यान देंगे और अपने अगले अंकमें इस मुद्देको स्पष्ट कर देनेकी कृपा करेंगे।

आपका,
प्रबन्धक
बॉम्बे स्वदेशी कोऑपरेटिव स्टोर्स कंo, लिमिटेड

  1. देखिए खण्ड २०, पृष्४ ५४०।