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आखिरी काम

नीचे गिरफ्तारीके वारंटकी नकल दी जा रही है :

श्री एफ० ई० कनिंघम

पुलिस उप महानिरीक्षक,
सी० आई० डी० और रेलेव विभाग,

मद्रास

चूंकि मुहम्मद अलीसे यह कैफियत माँगी जानी है कि दण्ड प्रक्रिया संहिताके खण्ड १०७ व १०९ के अन्तर्गत उनसे एक सालतक शान्ति बनाये रखने या अपना व्यवहार ठीक रखनेके लिए मुचलका क्यों नहीं लिया जाये, इसलिए आपको निर्देश दिया जाता है कि आप उक्त मुहम्मद अलीको गिरफ्तार करके मेरे सामने पेश कीजिए। इसमें चूक नहीं होनी चाहिए।

जे० आर० हगिन्स
जिला मजिस्ट्रेट

विशाखापट्टम
१४ सितम्बर, १९२१

मौलाना मुहम्मद अली न केवल स्वयं सदा शान्तिपूर्ण आचरण करते रहे हैं, बल्कि दूसरोंके बीच भी शान्ति बनाये रखनेका प्रयत्न, और सफल प्रयत्न करते रहे हैं। अच्छे व्यवहारके तो वे प्रतीक ही हैं। फिर क्या यह बात बिलकुल हास्यास्पद नहीं है कि ऐसे व्यक्तिसे एक मदान्ध सरकार "शान्ति बनाये रखने और अपना व्यवहार ठीक रखने के लिए मुचलका" देने को कहे ? जो सरकार स्वयं बुरी है, उसके राज्यमें अच्छे पुरुषों और स्त्रियोंके लिए जेलोंके अलावा और कहीं स्थान नहीं है।

यह निश्चित है कि जैसा छोटेभाईके साथ हुआ वैसा ही बड़े भाईके साथ भी होगा। वे अपनेको स्यामी जुड़वाँ कहते हैं। दोनों एक दूसरे के अभिन्न अंग हैं। और अगर एकका व्यवहार ठीक नहीं रहा है तो दूसरेका भी नहीं रहा होगा। मुझे आशा है कि इस लेख के छपते-छपते भारतको मौलाना शौकत अलीकी गिरफ्तारीका समाचार मालूम हो चुका होगा।

मौलाना मुहम्मद अलीको गिरफ्तार करके सरकारने खिलाफतको गिरफ्तार किया है। कारण, ये दोनों भाई खिलाफतके सबसे अच्छे प्रतिनिधि हैं। जबतक खिलाफत लगभग एक कैदीकी हालत में पड़ा हुआ है और मुसलमानोंके तीर्थस्थान वस्तुतः गैर-मुसलमानोंके नियंत्रण में हैं, तबतक वे चैन नहीं ले सकते। दोनों भाइयों या दोनोंमें से किसीकी भी गिरफ्तारीका मतलब है खिलाफतकी माँगको मंजूर करनेसे साफ इनकार कर देना।

लेकिन सरकार देखेगी कि वह दोनों भाइयोंकी आत्माको बन्दी नहीं बना पाई है, और उनकी गिरफ्तारी के कारण खिलाफत आन्दोलन और भी तेजीसे चलेगा। दोनों भाइयोंकी आत्मा सभी सच्चे हिन्दुओं और मुसलमानोंमें समाहित रहेगी और वे खिलाफतको मशालको निष्कम्प और प्रदीप्त रखेंगे।